Moon on Earth : क्या वैज्ञानिक पृथ्वी के लिए एक नया चांद बनाना चाहते हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के लेटेस्ट वीडियो से यह सवाल पैदा हुआ है। ईएसए ने मंगलवार को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया। इसमें पृथ्वी पर चंद्रमा की सतह को फिर से बनाने की योजना का खुलासा किया गया। बताया गया कि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए यूके और जर्मनी के वैज्ञानिकों के ग्रुप ने ग्रीनलैंड की एक माइन के साथ सहयोग किया है। माइन एक ऐसी रॉक (चट्टान) उपलब्ध कराएगी, जिसमें चांद की सतह पर मिलने वाले मटीरियल जैसे गुण हैं।
किस मटीरियल से बनेगी चांद की सतह
पृथ्वी पर चंद्रमा जैसी सतह बनाने के लिए एनोर्थोसाइट (anorthosite) का इस्तेमाल होगा। यह हल्के रंग की आग्नेय (igneous) चट्टान है। ग्रीनलैंड की माइन ही इस चट्टान को पहुंचाएगी।
धरती पर चांद जैसी सतह की जरूरत क्यों
दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां चंद्रमा पर अपने मिशन भेजने में जुटी हैं। भविष्य में वैज्ञानिकों को लंबे वक्त तक चांद पर ठहराने की योजना है। चांद पर जो हालात हैं और वहां के वातावरण से वैज्ञानिकों को रू-ब-रू कराने के लिए पृथ्वी पर चांद जैसी सतह बनाकर वैज्ञानिकों को उसमें ट्रेनिंग देने की योजना है।
कई और एक्सपेरिमेंट भी होंगे
धरती पर चांद जैसी सतह बनाकर वैज्ञानिक कई और एक्सपेरिमेंट भी करेंगे। वह पता लगाएंगे कि चांद पर ऑक्सीजन, पानी और बिल्डिंग मटीरियल बनाने के लिए क्या करना होगा।
दो टेस्टबेड बना रही ESA
वीडियो में बताया गया है कि यूरोपीय स्पेस एजेंसी दो टेस्टबेड तैयार कर रही है। पहले में चंद्रमा के उस इलाके की नकल की जाएगी, जहां विशाल लावा के मैदान हैं। दूसरे में करीब 20 टन एनोर्थोसाइट का उपयोग करके चंद्रमा की धूल भरी सतह को तैयार किया जाएगा।
लेकिन कुछ सवाल भी हैं
इस वीडियो पर रिएक्ट करते हुए एक यूजर ने लिखा कि 'चंद्रमा पर बड़ी समस्या रेजोलिथ और उसका गुरुत्वाकर्षण है। चंद्रमा पर होने वाली स्पेसवॉक को धरती पर कैसे करेंगे। चांद पर लोगों की सेहत प्रभावित होगी, उसे पृथ्वी पर कैसे परखा जाएगा।
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