टेक्नोलॉजी में लगातार नए अविष्कारों से बदलाव हो रहे हैं।
Photo Credit: SWARM Biotactics
कॉकरोच छोटे और ड्यूराबल होते हैं और पतले या कठिन इलाकों में भी आसानी से चल सकते हैं, जिसके चलते उन्हें माइक्रो सर्विलांस के लिए एक बेहतर जीवित विकल्प माना गया है।
टेक्नोलॉजी में लगातार नए अविष्कारों से बदलाव हो रहे हैं। अब जर्मनी स्पाई मॉनिटर टूल के तौर पर जीवित कॉकरोच का इस्तेमाल कर रहा है। एक टेक स्टार्टअप SWARM बायोटैक्टिक्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर बेस्ड बैकपैक तैयार कर रहा है, जिन्हें असली कॉकरोच पर लगाया जा सकता है और उन्हें जीवित स्पाई एजेंट के तौर पर काम में लिया जा सकता है। ये छोटे से डिवाइस सेंसर, कैमरे और न्यूरल स्टीमुलेटर्स से लैस हैं, जो छोटी से छोटी जगहों और इंसानों की पहुंच से दूर वाले क्षेत्रों में रिमोट कंट्रोल और ऑटोनॉमस तरीके से मॉनिटर करने की सुविधा प्रदान करते हैं। यह प्रोजेक्ट सर्विलांस के भविष्य और युद्ध की स्थिति में खूफिया जानकारी एकत्रित करने में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
SWARM बायोटैक्टिक्स की टेक्नोलॉजी में मेडागास्कर के हिसिंग कॉकरोच पर अल्ट्रा लाइटवेट और AI से लैस बैकपैक्स फिट करना है। इनमें रियल टाइम में सैन्य कारणों से किसी स्थान या क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के लिए लिए छोटे कैमरे शामिल होंगे। इसके अलावा गैस, रेडिएशन या हीट का पता लगाने के लिए पर्यावरण सेंसर दिए जाएंगे। वहीं न्यूरल स्टिमुलेटर लगाए जाएंगे जो कि कॉकरोच के मूवमेंट को डायरेक्ट करने के लिए उनके नर्वस सिस्टम को सिग्नल भेजेंगे। ये ऑपरेटर कंट्रोल या SWARM लेवल कॉर्डिनेशन के लिए वायरलेस कम्युनिकेश मॉड्यूल होगा।
रॉयटर्स के अनुसार, यह टेक्नोलॉजी कॉरकोच को मलबे, दीवारों या पतली जगहों से गुजरने में मददगार बनाती है जहां सामान्य ड्रोन काम नहीं करते हैं। इसके चलते ये युद्ध क्षेत्रों, बंधकों के बचाव या आपदा के समय में मदद के लिए बेहतर विकल्प साबित होते हैं।
कॉकरोच छोटे और ड्यूराबल होते हैं और पतले या कठिन इलाकों में भी आसानी से चल सकते हैं, जिसके चलते उन्हें माइक्रो सर्विलांस के लिए एक बेहतर जीवित विकल्प माना गया है। मैकेनिकल रोबोटों से अलग कॉकरोच को चलने के लिए किसी एनर्जी की जरूरत नहीं होती और वे 3 ग्राम तक का वजन ढोते हुए भी मुश्किल कंडीशन में जीवित रह सकते हैं। एंटेना या सेर्की को दिए जाने वाले लो-वोल्टेज इंपल्स का उपयोग करके उनकी एक्टिविटी को गाइड किया जा सकता है, जिससे वे इंसानों के कंट्रोल के साथ सेमी-ऑटोनोमस हो जाते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ इन बॉयलॉजिकल मशीनों को व्यक्तिगत रूप से या ग्रुप के तौर पर काम करने के लिए डिजाइन किया गया है जिससे दुर्गम क्षेत्रों का मैप मिलने के साथ मॉनिटर या जासूसी हो सके।
स्टार्टअप सिक्योरिटी एजेंसी और रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर फील्ड ऑपरेशन और लाइव मिशन में Swarm इंटीग्रेशन के लिए प्रोटोकॉल तैयार कर रहा है। हालांकि, इसका शुरुआती उपयोग मिलिट्री सर्विलांस के लिए है। इसके अलावा कंपनी आपदा राहत में भी इसका उपयोग देख रही है। ये AI लैस कीड़े जल्द ही फायरफाइटिंग, अर्बन प्लानिंग और सर्च एंड रेसक्यू ऑपरेशन का हिस्सा बन सकते हैं। जर्मनी की कॉकरोच-साइबॉर्ग पहल से जासूसी और रोबोटिक्स में एक नई खूबी का पता चला है।
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