व्हेल (Whale) धरती पर पाए जाने वाले सबसे बड़े जीवों में गिनी जाती हैं। समुद्र में भी व्हेल मछली शायद सबसे बड़ा जीव कहा जा सकता है। अब वैज्ञानिकों ने 15 साल का समय लगाकर अंटार्कटिक में रहने वाली व्हेल्स के ऊपर एक स्टडी की है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि व्हेल कैसी आवाजें निकालती है। नर व्हेल कैसी आवाज करती है, और मादा व्हेल कैसी आवाज करती है। वैज्ञानिकों ने एक सोनिक सर्वे में अपने नतीजे पेश किए हैं।
इसके लिए शोधकर्ताओं ने निष्क्रिय ध्वनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जिन्हें sonobuoys कहा जाता है। इनकी मदद से रिसर्चर्स ने 3900 घंटे का साउंड डेटा इकट्ठा किया। पाया गया कि व्हेल तीन तरह की साउंड पैदा करती हैं। इन्हें वैज्ञानिकों ने 3 प्रकार की कॉल कहा है। स्टडी को मरीन मैमल अकॉस्टिशियन
ब्रायन मिलर ने लीड किया है। मिलर Australian Antarctic Programme से जुड़े हैं। अंटार्कटिक ब्लू व्हेल के वितरण और व्यवहार पर यहां रोशनी डाली गई है। कहा जाता है कि औद्योगिक व्हेलिंग के दौरान इनका एक बार इतना ज्यादा शिकार किया गया था कि ये विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गईं थीं। स्टडी को
Frontiers in Marine Science में पब्लिश किया गया है।
जो जानकारी वैज्ञानिकों ने जुटाई है वह उन्हें ब्लू व्हेल की जनसंख्या को मॉनिटर करने में मदद करेगी। डेटा खंगालने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि व्हेल तीन खास तरह की आवाज पैदा करती हैं। इसमें एक प्रकार की कॉल को Z-कॉल कहा गया है, जो कि सिर्फ नर व्हेल पैदा करते हैं। Unit-A कॉल सिर्फ इसी क्षेत्र में पाई गई एक और तरह की कॉल बताई है। जबकि D-कॉल नर और मादा, दोनों के द्वारा पैदा की जाती है। इन कॉल्स की मदद से वैज्ञानिक व्हेल की जनसंख्या और बर्ताव को समझ सकते हैं।
हालांकि वैज्ञानिकों को अभी तक इस बात का पता नहीं लग पाया है कि असल में इन कॉल्स का क्या मतलब है। लेकिन ड्रोन फुटेज और AI एल्गोरिदम की मदद से रिसर्चर्स इनका मतलब जल्द ही पता लगा लेंगे। इससे ब्लू व्हेल की जनसंख्या पर क्लाइमेट चेंज का क्या प्रभाव हुआ है, भी सामने आ सकता है। साथ ही इनका मुख्य भोजन स्रोत क्रिल भी पता चला है।
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