जितना सोचा गया है, मंगल ग्रह (Mars) उससे भी ज्यादा पृथ्वी के समान है। रिसर्चर्स को पता चला है कि यह ग्रह अपनी धूल भरी बंजर सतह के नीचे ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण 'मार्सक्वेक' का अनुभव कर रहा है। यह वैसा ही है, जैसा पृथ्वी पर भूकंप होता है। रिसर्चर्स ने एक विशिष्ट क्षेत्र में मार्टिन क्रस्ट के नीचे 47 मार्सक्वेक की खोज की है, जिसे सेर्बरस फॉसे कहा जाता है। यह 20 मिलियन वर्ष से कम पुराना है। ये 47 मार्सक्वेक एक नई खोज के रूप में सामने आए हैं। अब से पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि कमजोर चुंबकीय क्षेत्र वाले मंगल ग्रह के अंदर बहुत कुछ नहीं घटित हो रहा है। नई खोज यह तथ्य कमजोर साबित हुआ है।
आमतौर पर ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्र उनके अंदर पैदा होते हैं। उदाहरण के लिए- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उसके बाहरी कोर में उत्पन्न होता है यह अंतरिक्ष में कई किलोमीटर तक फैला होता है। दरअसल यह ब्रह्मांड से आने वाले रेडिएशन के खिलाफ एक ढाल की तरह काम करता है।
दूसरी ओर मंगल ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र सिर्फ पैच में मौजूद है। यह सौर हवा के मंगल ग्रह के वातावरण के साथ इंटरेक्शन से बनता है। पूरे ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र नहीं बनने की वजह से मंगल ग्रह पर बहुत अधिक रेडिएशन होता है।
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स को उम्मीद है कि उनकी खोज इस बात पर रोशनी डाल सकती है कि मंगल ग्रह में अब चुंबकीय क्षेत्र क्यों नहीं है। उन्होंने नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में अपने निष्कर्ष
प्रकाशित किए हैं।
स्टडी के सह लेखक ह्र्वोजे टकालिक ने
कहा कि मंगल पर भूकंप हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि क्या इस ग्रह के अंदरुनी हिस्से में संवहन (convention) हो रहा है। संवहन ऊष्मा के एक जगह से दूसरी जगह पर जाने का एक तरीका है। ह्र्वोजे टकालिक कहते हैं कि अगर ऐसा हो रहा है तो ऐसा मैकेनिज्म भी होगा, जो इसके चुंबकीय क्षेत्र को रोक रहा है।
वैज्ञानिकों ने पहले भी यह सोचा था कि मार्सक्वेक, टेक्टोनिक फोर्स के कारण हो सकते हैं, लेकिन इन फाइंडिंग्स से पता चलता है कि मंगल ग्रह के मेंटल में अभी भी मैग्मा एक्टिव है। ह्र्वोजे टकालिक ने कहा, फैक्ट यह है कि मंगल ग्रह पर सभी भूकंप एक ही क्षेत्र में पाए गए हैं। यह बताता है कि ग्रह के बारे में जितना सोचा गया था, यह भूकंप के नजरिए से उससे भी ज्यादा एक्टिव है।