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शुक्र ग्रह पर जीवन संभव होने का दावा करने वाले वैज्ञानिकों को झटका! जानें क्‍या कह रही नई रिसर्च

साल 2020 में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया था कि उन्हें शुक्र के बादलों में फॉस्फीन गैस मिली थी, जिससे इस ग्रह पर जीवन की संभावना के बारे में अटकलें लगाई जा रही थीं।

शुक्र ग्रह पर जीवन संभव होने का दावा करने वाले वैज्ञानिकों को झटका! जानें क्‍या कह रही नई रिसर्च

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री सीन जॉर्डन के नेतृत्व में स्‍टडी टीम ने शुक्र ग्रह पर जीवन के विचार को लेकर जांच की।

ख़ास बातें
  • शुक्र ग्रह की कैमिस्‍ट्री पृथ्वी से काफी अलग है
  • ग्रह के बादलों में जीवन के अस्तित्व की संभावना नहीं है
  • इस नई रिसर्च से पुरानी रिसर्च को झटका लगा है
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दुनियाभर के खगोलविद और रिसर्चर्स पृथ्‍वी से बाहर जीवन की खोज में लगे हुए हैं। वैज्ञानिकों की एक टीम ने कुछ समय पहले शुक्र ग्रह के बादलों में जीवन के अस्तित्व की संभावना की ओर इशारा किया था। साल 2020 में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया था कि उन्हें शुक्र के बादलों में फॉस्फीन गैस मिली थी, जिससे इस ग्रह पर जीवन की संभावना के बारे में अटकलें लगाई जा रही थीं। अन्य वैज्ञानिकों ने भी सुझाव दिया कि शुक्र पर जीवन हो सकता है। हालांकि एक नए विश्लेषण में इन दावों को खारिज कर दिया गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि पृथ्वी के इस पड़ोसी पर जीवन के संकेत की खोज नाकाम रही है। 

विशेषज्ञों के अनुसार, शुक्र ग्रह की कैमिस्‍ट्री पृथ्वी से काफी अलग है। इसका वातावरण सल्फर से भरपूर है, जिसकी सांद्रता (concentration) हमारे ग्रह की सांद्रता के 1,00,000 गुना तक पहुंच सकती है। यह स्‍टडी नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुई है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री सीन जॉर्डन के नेतृत्व में स्‍टडी टीम ने शुक्र ग्रह पर जीवन के विचार को लेकर जांच की, जिससे यह साबित हो गया कि इस ग्रह पर जीवन की जो संभावनाएं लगाईं जा रही थीं, उनमें कोई दम नहीं है। 

सीन जॉर्डन के अनुसार, उन्होंने शुक्र के वातावरण में सल्फर बेस्‍ड फूड की तलाश की क्योंकि यह मुख्य उपलब्ध ऊर्जा स्रोत है। पृथ्वी पर सल्फर का प्रोडक्‍शन ज्‍वालामुखियों के जरिए होता है। शुक्र ग्रह पर भी इसी तरह से सल्‍फर पैदा होने का अनुमान है। नई स्‍टडी में रिसर्चर्स ने केमिकल रिएक्‍शंस को मॉडल करने की कोशिश की और निष्‍कर्ष निकाला कि  सल्फर आधारित जीवन सल्फर डाइऑक्साइड में कमी लाने में सक्षम था। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि शुक्र के ऊपरी वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड की कमी के लिए जीवन जिम्मेदार नहीं है, लेकिन इसकी जांच की जानी चाहिए। 

गौरतलब है कि वेल्स स्थि‍त कार्डिफ यूनिवर्सिटी Cardiff University के रिसर्चर्स ने शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन phosphine के स्रोतों की खोज करके हलचल मचा दी थी। उन्होंने दावा किया था कि पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों के टूटने से स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाली इस गैस का शुक्र पर मिलना वहां जीवन का संकेत हो सकता है। हालांकि तब भी लोगों ने इस पर सवाल उठाया था। दलील दी थी कि शुक्र ग्रह के बादल सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदों में उसे ढक रहे हैं। ये बूदें इंसान की त्‍वचा को जला सकती हैं। 
 
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