• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • मनुष्य के गले में इस खास स्ट्रक्चर की कमी के कारण पैदा हुई बोलने की क्षमता स्टडी

मनुष्य के गले में इस खास स्ट्रक्चर की कमी के कारण पैदा हुई बोलने की क्षमता- स्टडी

स्टडी को Science जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी में बंदरों की एनाटॉमी की जांच की गई है जिनमें चिम्पांजी, गोरिल्ला, ओरंगुटान और गिब्बन जैसी प्रजातियों का अध्य्यन किया गया है।

मनुष्य के गले में इस खास स्ट्रक्चर की कमी के कारण पैदा हुई बोलने की क्षमता- स्टडी

मनुष्य एयरसैक्स नामक हिस्से की कमी के कारण बंदरों की तरह आवाज नहीं निकाल सकता है

ख़ास बातें
  • नई स्टडी में पता चला कि कैसे मनुष्य के भीतर बोलने की क्षमता का विकास हुआ
  • मनुष्य के गले में एक गुब्बारेनुमा स्ट्रक्चर की कमी होती है
  • एयरसैक्स की कमी ही है, जिससे कि मनुष्य एक स्थिर आवाज निकाल पाता है
विज्ञापन
मनुष्य का जो रूप आज हम देख रहे हैं यह हजारों वर्षों के विकास का नतीजा है। मानव धरती पर मौजूद इकलौता प्राणी है जो गले में शब्दों को पैदा कर पाता और बोलने की क्षमता रखता है। एक नई स्टडी में सामने आया है कि कैसे मनुष्य के भीतर बोलने की क्षमता का विकास हुआ। वैज्ञानिकों ने पाया है कि कैसे समय के साथ मनुष्य में बदलाव होते गए जो हमें हमारे पूर्वजों से अलग करते गए। ये नई स्टडी कहती है कि 43 प्रजातियों के अध्य्य़न के बाद पता चला है कि दूसरी प्रजातियों में वोकल मैमब्रेन नामक हिस्से की गले में कमी होती है। यह मेमब्रेन या झिल्ली वोकल कॉर्ड्स का विस्तारित हिस्सा होता है जो रिब्बन जैसा दिखता है।

स्टडी में ये भी सामने आया है कि मनुष्य बंदरों की तरह आवाज नहीं निकाल सकता है, क्योंकि मनुष्य के गले में एक गुब्बारेनुमा स्ट्रक्चर की कमी होती है जिन्हें एयर सैक्स कहा जाता है। एयरसैक्स की कमी ही है, जिससे कि मनुष्य एक स्थिर आवाज निकाल पाता है और वह शब्दों का निर्माण कर सकता है। 

Kyoto यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर द इवोल्यूशनरी ओरिजिन्स ऑफ ह्यूमन बिहेवियर इन जापान के प्राइमेटोलॉजिस्ट ताकेशी निशिमुरा ने कहा कि नॉन् ह्यूमन प्राइमेट्स में अधिक जटिल वोकल स्ट्रक्चर के कारण ही वो वाइब्रेशन को सटीकता के साथ कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। 

ऑस्ट्रिया में वियना यूनिवर्सिटी में स्टडी के को-ऑथर और इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट डब्ल्यू टेकुमसेह फिच ने कहा कि वोकल मेम्ब्रेन के कारण ही दूसरे प्राइमेट ऊंची और हाई पिच वाली आवाजें पैदा कर पाते हैं। लेकिन उनकी आवाज में ब्रेक्स ज्यादा होते हैं और अनियमितता भी बहुत ज्यादा होती है। 

स्टडी को Science जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी में बंदरों की एनाटॉमी की जांच की गई है जिनमें चिम्पांजी, गोरिल्ला, ओरंगुटान और गिब्बन जैसी प्रजातियों का अध्य्यन किया गया है। इसके साथ ही पुरानी दुनिया के बंदर जैसे मेकेक्यू, ग्यूनन, बबून और मैंड्रिल्स को भी स्टडी किया गया है। स्टडी में नई दुनिया के बंदर जैसे केपुचिन्स, टेमेरिंस, मर्मोसेट्स और टाईटिस भी शामिल रहे। 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: , human evolution, evolution of voice in human
हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »