NASA स्पेस एजेंसी अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका दे रही है। स्पेस एजेंसी ने 4 साल बाद भर्ती निकाली है। नासा की इन भर्तियों के लिए हमेशा ही गला-काट प्रतियोगिता रहती है। 2020 में जब नासा ने इस तरह की भर्तियां निकालीं थीं तो 10 पॉजीशन के लिए 12 हजार लोगों ने आवेदन किया था। इस साल के लिए भी ऐसा ही अनुमान लगाया गया है। अमेरिका एक बार फिर से चांद पर जाने की तैयारी कर रहा है। इसी वजह से अंतरिक्ष में उड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए एक सुनहरा मौका फिर से आया है।
नासा ने जो जॉब पोस्ट निकाला है उसमें योग्यता के लिए कहा गया है कि आवेदक के पास बेसिक एजुकेशन होनी चाहिए, और स्पेशल एक्सपीरियंस जैसे कि पायलेट, डॉक्टर, और इंजीनियर होना वांछित है। NDTV के
अनुसार, चुने जाने पर अंतरिक्ष यात्रियों को 2 साल की ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमें स्पेस वॉकिंग, रोबोटिक्स, और टीमवर्क जैसे बेसिक स्किल सिखाए जाएंगे। जॉब ह्यूस्टन में दी जाएगी, सैलरी 1,52,000 डॉलर प्रतिवर्ष के हिसाब से होगी। भारतीय रुपयों में गिने तो यह सैलरी 1,25,73,400 रुपये बनती है। कहा गया है कि जॉब में बहुत ज्यादा ट्रैवल करना होगा।
FederalPay.org वेबसाइट सिविल कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल की जाती है। वेबसाइट के अनुसार, ह्यूस्टन क्षेत्र में संघीय नौकरियों के लिए जो दो उच्चतम वेतन स्तर हैं, एक अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के लिए शुरुआती सैलरी इन्हीं के बीच में होती है। 2020 में जो भर्ती निकाली गई थी, उसमें नासा ने एक अंतरिक्ष यात्री के लिए सैलरी रेंज 1,05,000 डॉलर से लेकर 1,61,000 डॉलर के बीच रखी थी। 2024 में निकाली भर्तियों के लिए एजेंसी ने 2 अप्रैल की डेडलाइन रखी है।
NASA के महत्वपूर्ण मिशनों की बात करें तो जूनो मिशन इनमें इन दिनों चर्चा में है जिसमें अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बड़ी खोज हाथ लगी है। आपको हैरानी होगी जानकर कि हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) का चंद्रमा यूरोपा (Europa) इतनी ऑक्सीजन पैदा कर रहा है, जो 10 लाख लोगों के लिए काफी है। नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुई स्टडी बताती है कि यूरोपा की बर्फीली सतह से रोजाना लगभग 1,000 टन ऑक्सीजन रिलीज होती है, जो 24 घंटे तक 10 लाख लोगों के लिए सांस लेने का काम कर सकती है।
Nasa का जूनो स्पेसक्राफ्ट कई साल से बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं के बारे में जानकारी जुटा रहा है। स्पेसक्राफ्ट पर लगे जेडीई इंस्ट्रूमेंट के डेटा का इस्तेमाल करके वैज्ञानिकों ने यह स्टडी की। दो साल पहले सितंबर 2022 में जूनो ने यूरोपा के करीब से उड़ान भरी थी। उस समय जुटाए गए डेटा को स्टडी करने के बाद पता चला कि बृहस्पति का यह चांद बहुत ऑक्सीजन रिलीज कर रहा है।