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Nasa में भी जॉब सेफ नहीं! 530 कर्मचारियों की छंटनी करेगी ‘जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी’

Nasa Lay Off : साल 2024 के बजट को लेकर जारी अनिश्चितता और बजट में कमी को इसकी वजह बताया गया है।

Nasa में भी जॉब सेफ नहीं! 530 कर्मचारियों की छंटनी करेगी ‘जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी’

Photo Credit: Nasa

नासा जेपीएल ने पिछले महीने ही 100 कॉन्‍ट्रैक्‍टर्स को निकाल दिया था। उनमें से कई मार्स सैंपल रिटर्न (MSR) पर काम कर रहे थे।

ख़ास बातें
  • नासा की जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी करेगी छंटनी
  • बजट में कमी को इसकी वजह बताया
  • 530 कर्मचारियों और 40 कॉन्‍ट्रैक्‍टर्स को निकाला जाएगा
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Nasa Lay Off : क्‍या नासा (Nasa) में भी जॉब सेफ नहीं है। नासा की जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी (Nasa JPL) ने 530 कर्मचारियों यानी लगभग 8 फीसदी की छंटनी करने का ऐलान किया है। साल 2024 के बजट को लेकर जारी अनिश्चितता और बजट में कमी को इसकी वजह बताया गया है। एक बयान में कहा गया है कि मार्स सैंपल रिटर्न (MSR) के लिए खर्च में कटौती के कारण और लागत को कम करने की कोशिशों के बाद लगभग 530 कर्मचारियों और 40 कॉन्‍ट्रैक्‍टर्स को निकाला जाएगा। 

गौरतलब है कि नासा ने साल 2030 तक मंगल ग्रह से उन सैंपलों को पृथ्‍वी पर लाने की योजना बनाई है, जिन्‍हें अभी लाल ग्रह पर कलेक्‍ट किया जा रहा है। नासा जेपीएल का कहना है कि हमें छंटनी का कठ‍िन फैसला करना पड़ रहा है क्‍योंकि नासा से कम बजट मिला है और अपकमिंग बजट को लेकर भी अनिश्‍च‍ितता है।   

नासा जेपीएल ने पिछले महीने ही 100 कॉन्‍ट्रैक्‍टर्स को निकाल दिया था। उनमें से कई मार्स सैंपल रिटर्न (MSR) पर काम कर रहे थे। जेपीएल की डायरेक्‍टर लॉरी लेशिन ने पिछले महीने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि उन्‍होंने कर्मचारियों को छंटनी की संभावना के बारे में पहले ही बता दिया था। 

6 फरवरी को जेपीएल स्टाफ को दिए गए एक मेमो में लेशिन ने कहा कि नई भर्तियों पर रोक, मार्स सैंपल रिटर्न (MSR) में कटौती जैसे उपायों के बाद अब छंटनी पर मजबूर होना पड़ रहा है। उन्‍हाेंने यह भी कहा कि जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, वो वर्क फ्रॉम होम करेंगे, ताकि किसी तनाव में ना आएं। 

बीते दिनों, लेशिन ने कर्मचारियों को बताया था कि MSR मिशन इस साल 30 करोड़ डॉलर (लगभग 2,490 करोड़ रुपये) के बजट तक सीमित हो सकता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने कई और मिशनों के बजट पर कैंची चलाई है। सरकार से कम बजट सेंक्‍शन होने के बाद एजेंसी को यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। 
 
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