अंतरिक्ष में ग्रहों के चारों तरफ उनके सैटेलाइट्स यानि कि चंद्रमा के अलावा एस्टरॉयड भी घूमते रहते हैं। ये उपग्रह नहीं होते हैं, बल्कि इनको लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहा गया है, क्योंकि बनावट में ये ग्रहों से ही मिलते-जुलते हैं। इनको ग्रह कहने का दूसरा कारण ये है कि ये सूरज के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। जबकि उपग्रह एक ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। चूंकि एस्टरॉयड की कक्षा ग्रहों की कक्षा से अलग होती है, इसलिए ये ग्रहों के रास्ते में भी आ सकते हैं। ऐसे ही पिछले कई महीनों से लगातार एस्टरॉयड बड़ी चट्टानों के रूप में पृथ्वी के आसपास से गुजर रहे हैं। ऐसे में इन्हें ट्रैक किया जाता है जो कि नासा की जेट प्रॉपल्शन लेबोरेट्री करती है।
नासा की
जेट प्रॉपल्शन लेबोरेट्री (JPL) ने लेटेस्ट एस्टरॉयड अलर्ट जारी किया है जिसमें आने वाले दिनों में 2 एस्टरॉयड धरती के करीब आने वाले हैं। अगले 48 घंटों में ये
चट्टानें धरती के बेहद करीब होंगी। इसमें एक का साइज 190 फीट है और दूसरी का साइज 31 फीट है। आईए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
NASA की ओर से एस्टरॉयड ट्रैकिंग करने वाली शाखा JPL ने कहा है कि 2 दिन बाद 2
बड़े एस्टरॉयड धरती के करीब आने वाले हैं। इनमें से एक है एस्टरॉयड 2023 LN1 नामक चट्टान।
Asteroid 2023 LN1 इन दोनों में से विशालकाय चट्टान है। इसका साइज 190 फीट यानि कि लगभग 200 फीट है। यह हवाई जहाज के जितना बड़ा है। यह पृथ्वी के करीब 6,860,000 किलोमीटर के दायरे में आने वाला है। यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं है, क्योंकि 75 लाख किलोमीटर से ज्यादा नजदीक आने पर एस्टरॉयड धरती के लिए खतरनाक हो सकता है, जैसा कि नासा कहती है।
दूसरी चट्टान, एस्टरॉयड 2018 NW (
Asteroid 2018 NW), भी उसी दिन धरती के करीब पहुंच रही है। यह 31 फीट का चट्टानी टुकड़ा है। यह 78542 किलोमीटर की स्पीड से धरती की ओर आ रहा है। यह स्पीड बहुत ज्यादा है। नासा ने वेबसाइट पर बताया है कि यह धरती के करीब 6,910,000 किलोमीटर के दायरे में होकर गुजरने वाला है। ये दोनों ही एस्टरॉयड 10 जुलाई को धरती के करीब से होकर गुजरने वाले हैं। ऐसे में देखना होगा कि ये धरती के करीब आने पर सीधे गुजर जाते हैं, या फिर इनकी दिशा में परिवर्तन भी हो सकता है।
बहरहाल, नासा ने दोनों एस्टरॉयड के लिए अलर्ट जारी किया है। लेकिन इनके बारे में ऐसी सूचना नहीं दी है, जिसमें कहा गया हो कि ये धरती से टकरा सकते हैं। फिर भी एस्टरॉयड को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। रूस में 2013 में Chelyabinsk नामक उल्का पिंड आसमान में फटा था जिसने 7 हजार ईमारतों को नुकसान पहुंचाया था। इसमें 1400 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह उल्का पिंड 59 फीट साइज का था। इसी तरह अगर कोई एस्टरॉयड भी धरती की ओर आकर्षित हो जाता है तो यह इससे कई गुना भारी तबाही ला सकता है।