हमारे ब्रह्मांड में कई ऐसे रहस्य हैं, जिनकी तह तक जाने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात जुटे हुए हैं। रहस्यों से घिरी तो हमारी पृथ्वी भी है। वैज्ञानिकों ने इसके अंदर मौजूद ‘रहस्यमयी' ब्लाब की इमेज बनाकर उसे समझने की कोशिश की है। ब्लाब, हमारी पृथ्वी के क्रस्ट और उसके कोर के बीच चट्टान की गर्म मोटी परत है। ठोस होने के बावजूद यह धीरे-धीरे बहती रहती है। वैज्ञानिक आमतौर पर मानते हैं कि ये ब्लाब, टेक्टोनिक प्लेटों के मूवमेंट से जुड़े हैं, लेकिन इनमें बदलाव ने वैज्ञानिकों को हैरान किया है। वैज्ञानिकों ने इन्हें ‘आकर्षक और जटिल' कहा है। बताया है कि वह उनके बारे में और ज्यादा समझने की कोशिश कर रहे हैं। ये इमेजेस नेचर कम्युनिकेशंस में पब्लिश एक स्टडी का हिस्सा हैं। इस स्टडी में सर्कुलर अंडरग्राउंड पॉकेट पर फोकस किया गया है, जिसे हवाई के नीचे मौजूद अल्ट्रा-लो वेग जोन कहा जाता है। अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि से इमेजेस भूकंप विज्ञान में ‘मील का पत्थर' साबित हो सकती हैं।
मिरर यूके की
रिपोर्ट के अनुसार,
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जियोफिजिसिस्ट, ज़ी ली ने कहा कि पृथ्वी के सभी डीप इंटीरियर फीचर्स में ये सबसे आकर्षक और जटिल हैं। हमें पृथ्वी की आंतरिक संरचना दिखाने के लिए पहला ठोस सबूत मिल गया है, जो भूकंप विज्ञान के लिए मील का पत्थर है। इन इमेजेस को बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक लंबे वक्त से कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कई इंस्ट्रूमेंट्स इस्तेमाल किए, लेकिन इमेजेस बेहतर नहीं बनीं। पृथ्वी की सतह से दूरी ने इसे चुनौतीपूर्ण काम बना दिया था।
लेकिन इस बार इमेजेस को कंप्यूटर मॉडलिंग द्वारा तैयार किया गया है। इसके लिए डेटा को पृथ्वी की लेयर्स के जरिए भेजे गए सिग्नल्स से लिया गया है। इन सिग्नल रेस्पॉन्स के जरिए वैज्ञानिक यह समझ पाए हैं कि यह ब्लाब लगभग एक किलोमीटर साइज का है। इस महीने की शुरुआत में एक और स्टडी ने यह अनुमान लगाया था कि पृथ्वी के केंद्र के महाद्वीपों के साइज के कुछ बड़े ब्लाब हैं।
बताया जाता है कि ये ब्लाब, माउंट एवरेस्ट से 100 गुना लंबे हैं और वैज्ञानिकों को इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि वे वहां क्यों मौजूद हैं। रिसर्चर्स की एक टीम अब यह मानती है कि यह सब थिया (Theia) के अवशेष हैं। थिया एक एक प्रोटोप्लैनेट था, जो 4.5 मिलियन साल पहले पृथ्वी से टकराया था। इसी की वजह से चंद्रमा का निर्माण हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, ये ब्लाब पश्चिमी अफ्रीका और प्रशांत महासागर के नीचे स्थित हैं और कई दशकों से भूकंप विज्ञानियों को भ्रमित कर रही हैं।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की स्टडी में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों में से एक सुजॉय मुखोपाध्याय ने कहा कि अगर यह चीजें वाकई में पुरानी हैं, तो यह हमें बताती हैं कि हमारे ग्रह का निर्माण कैसे हुआ।
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