अंतरिक्ष में हमारे सौरमंडल में मौजूद एस्टरॉयड का अस्तित्व उतना ही पुराना है जितना कि हमारा सौरमंडल है। यानि कि ये तभी से बने हैं जब हमारे सौरमंडल का निर्माण हुआ था। यानि कि सूर्य और उसके गिर्द घूमने वाले ग्रहों को मिलाकर जो सौरमंडल बना, उसके बनते वक्त हुए विस्फोटों से कुछ चट्टानें भी अंतरिक्ष में बिखर गईं। जो एस्टरॉयड के रूप में लगातार सूर्य की परिक्रमा कर रही हैं। ऊबड़ खाबड़ आकार लिए ये भारी भरकम पत्थर इन दिनों एक के बाद एक धरती की ओर रुख कर रहे हैं। एस्टरॉयड पृथ्वी से अगर टकरा जाएं तो जान-माल का बड़ा नुकसान कर सकते हैं। पृथ्वी का सामना आज एक दैत्याकार चट्टानी टुकड़े से होने वाला है। यह नदी पर बने बड़े पुल के जितना भारी भरकम है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
में दो खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी यूं तो उनकी कक्षा के अनुसार निर्धारित रहती है। लेकिन ये तथ्य ग्रहों और उनके उपग्रहों के मामले में ही ज्यादा सटीक है। एस्टरॉयड और उल्का पिंड के लिए यह तथ्य बदल भी सकता है, क्योंकि ये आकार में ग्रहों से बहुत छोटे होते हैं, इसलिए गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आकर अपनी दिशा बदल सकते हैं और ग्रह से टकरा सकते हैं। एस्टरॉयड अधिकतर मामलों में ग्रहों से दूरी पर रहते हुए ही अपनी कक्षी में चक्कर काटते रहते हैं और गुजर जाते हैं। लेकिन जब पृथ्वी से 75 लाख किलोमीटर के दायरे में कोई एस्टरॉयड प्रवेश कर जाता है तो नासा की
अलर्ट जारी करती है। JPL की ओर से आज ऐसे ही एक विशालकाय एस्टरॉयड के लिए अलर्ट जारी किया गया है।
एस्टरॉयड का आकार ग्रहों की तरह गोल न होकर ऊबड़-खाबड़ होता है।
Photo Credit: NASA/JPL
(asteroid 2020 DB5) के लिए नासा ने आज अलर्ट जारी किया है। यह एक विशालकाय एस्टरॉयड है जो आज धरती की ओर बढ़ रहा है। इसका साइज डराने वाला है। यह 1600 फीट बड़ी चट्टान है। यह आकार छोटा या बड़ा भी हो सकता है। इस एस्टरॉयड का साइज 1 किलोमीटर तक बड़ा बताया जा रहा है। यह धरती से 43 लाख किलोमीटर के लगभग दूरी तक आने वाला है। के दायरे में प्रवेश कर यह धरती के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इसकी स्पीड 34272 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसे पहली बार 29 अक्टूबर 2014 को देखा गया था। यह एस्टरॉयड्स के अमर समूह से संबंध रखता है। सूर्य का चक्कर लगाने में इसे 1135 दिन लगते हैं।
धरती के लिए खतरनाक बताए गए हैं। जबकि एस्टरॉयड 2020 DB5 (asteroid 2020 DB5) इससे कई गुना बड़ा है। इसलिए अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस पर लगातार नजर रखे हुए हैं। एस्टरॉयड अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए इसलिए भी मायने रखते हैं क्योंकि ये सौरमंडल के निर्माण के समय से ही मौजूद हैं। ये ग्रहों के इतिहास के बारे में वैज्ञानिकों को बड़ी जानकारी दे सकते हैं। यहां तक कि इनसे सूर्य का इतिहास भी पता लगाया जा सकता है। इसलिए धूमकेतु आदि को स्टडी करके भी वैज्ञानिक एस्टरॉयड्स को समझने की कोशिश कर रहे हैं। ये एस्टरॉयड्स के ही छोटे टुकड़े होते हैं अक्सर धरती पर गिरते देखे जाते हैं लेकिन वायुमंडल में मौजूद हवा के घर्षण से जलकर आसमान में ही खाक हो जाते हैं। .