10 साल लग गए मंगल ग्रह का यह मैप बनाने में, खुल सकता है बड़ा रहस्‍य

इस मैप को बनाने के लिए दो मार्स ऑर्बिटर के डेटा का इस्‍तेमाल किया गया।

10 साल लग गए मंगल ग्रह का यह मैप बनाने में, खुल सकता है बड़ा रहस्‍य

यह मैप सभी सवालों के जवाब नहीं देता, पर यह उन जगहों को पॉइंट आउट करता है, जहां सुराग मिलने के ज्‍यादा चांस हैं।

ख़ास बातें
  • नक्शे में ऐसे सैकड़ों-हजारों संरचनाओं ​​का पता चलता है
  • इन रॉक संरचनाओं के आसपास पानी के सबूत मिलने के ज्‍यादा चांस हैं
  • भविष्‍य के मिशनों के लिए मददगार होगा यह मैप
विज्ञापन
पृथ्‍वी से बाहर कोई ग्रह वैज्ञानिकों को सबसे ज्‍यादा पसंद है, तो वह है मंगल ग्रह। दुनियाभर के साइंटिस्‍ट मंगल पर खोज में जुटे हैं। कोई मिशन वहां भविष्‍य में इंसानों की बस्‍ती बसाने पर काम कर रहा है, तो किसी मिशन के तहत मंगल ग्रह के भौगोलिक इतिहास को टटोलने की कोशिश की जा रही है। एक नए प्रोजेक्‍ट में मंगल ग्रह पर मौजूद सैकड़ों-हजारों रॉक संरचनाओं की मैपिंग की गई है। अनुमान है कि अतीत में इन्‍हीं जगहों पर बड़ी मात्रा में पानी की मौजूदगी रही होगी। 

रिपोर्ट के अनुसार, इस मैप को बनाने के लिए दो मार्स ऑर्बिटर के डेटा का इस्‍तेमाल किया गया। पेरिस स्थित इंस्टीट्यूट ‘डी एस्ट्रोफिजिक स्पैटियाल' के प्‍लैनेटरी साइंटिस्‍ट जॉन कार्टर ने एक बयान में कहा कि मुझे लगता है कि हमने सामूहिक रूप से मंगल ग्रह आसान बना दिया है। यह मैप सभी सवालों के जवाब नहीं देता, पर यह उन जगहों को पॉइंट आउट करता है, जहां सुराग मिलने के ज्‍यादा चांस हैं। पहचानी गई जगहें भविष्‍य में मंगल मिशनों के लिए बेहतरीन लैंडिंग साइट की उम्‍मीदवार हो सकती हैं। इनमें से कुछ साइट में अभी भी सतह के नीचे बर्फ दबी हो सकती है। 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अनुसार उसके मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर (Mars Express orbiter) और नासा के मार्स रिकॉइनेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) के ऑब्‍जर्वेशन ने रिसर्चर्स को यह मैप बनाने में मदद की। ईएसए के अनुसार यह प्रोजेक्‍ट एक दशक में पूरा हो पाया है। इससे पहले वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर सिर्फ करीब 1,000 रॉक संरचनाओं के बारे में पता था जिनमें हाइड्रेटेड खनिज होते हैं। नए नक्शे में ऐसे सैकड़ों-हजारों संरचनाओं ​​का पता चलता है। जॉन कार्टर ने कहा कि इस काम ने साबित किया है कि जब आप प्राचीन इलाकों का विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं, तो इन खनिजों को न देखना वास्तव में विषमता है।

भले ही आज मंगल ग्रह शुष्‍क है, लेकिन कई सबूतों से पता चलता है कि इसकी सतह पर कभी पानी बहता था। नए निष्कर्ष बताते हैं कि पानी ने अपने इतिहास के दौरान मंगल के भूविज्ञान (geology) को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि पानी की उपस्थिति समय के साथ सुसंगत (consistent) थी। जॉन कार्टर ने कहा, पानी की भरपूर मौजूदगी से लेकर बिना पानी वाला मंगल ग्रह कैसे बना, यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं है। पर एक चीज क्‍लीयर है कि पानी एक रात में खत्‍म नहीं हुआ। 
 

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. भारत में 6G की जबरदस्त तैयारी, गांव से लेकर आसमान तक चलेगा तेज इंटरनेट
  2. Meta Ray-Ban Display स्मार्ट ग्लासेस 12MP कैमरा और डिस्प्ले के साथ लॉन्च, उंगलियों के इशारों पर करेगा काम
  3. Kodak Matrix QLED TV 43, 50, 55 और 65 इंच डिस्प्ले में लॉन्च, जानें कैसे हैं फीचर्स और कीमत
  4. Amazon Great Indian Festival 2025 Sale: OnePlus 13 पर आ गई साल की सबसे बड़ी डील
  5. Honda ने पेश की WN7 इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल, 130 किलोमीटर की रेंज
  6. Xiaomi 15T में मिल सकता है MediaTek Dimensity 8400 Ultra चिपसेट, 5,500mAh बैटरी
  7. क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए जरूरी हुआ सायबर सिक्योरिटी ऑडिट, केंद्र सरकार का फैसला
  8. Redmi 15R 5G: 6000mAh बैटरी और 12GB रैम के साथ लॉन्च हुआ 'बजट' रेडमी फोन, जानें कीमत
  9. iPhone 14 Pro मिलेगा 57 हजार से भी सस्ता, ControlZ के द ग्रेट वैल्यू डेज में OnePlus पर भी बंपर छूट
  10. Proxgy ThumbPay: स्मार्टफोन-QR को भूल जाइए, अंगूठे से होंगे डिजिटल पेमेंट!
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »