भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो (ISRO) ने सोमवार को कन्फर्म किया कि मार्स ऑर्बिटर यान (Mars Orbiter) का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया है। इसे रिकवर नहीं किया जा सकता और मंगलयान मिशन का जीवन खत्म हो गया है। पीटीआई के अनुसार, इससे पहले 27 सितंबर को इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में मार्स ऑर्बिटर मिशन (MoM) के आठ साल पूरे होने के अवसर पर एक राष्ट्रीय बैठक आयोजित की थी। ध्यान रखने वाली बात यह है कि मंगलयान को सिर्फ 6 महीने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन इसने 8 साल तक काम किया। एक बयान में इसरो ने कहा कि यान से अब संपर्क बहाल नहीं किया जा सकता और यह अपना जीवनकाल पूरा कर चुका है।
मंगलयान को 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था। 24 सितंबर 2014 को इसे मंगल ग्रह की कक्षा में सफलता के साथ स्थापित कर दिया गया था। इसरो ने कहा कि इन 8 साल में 5 वैज्ञानिक उपकरणों से लैस इस यान ने मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, इसके आकृति विज्ञान, मंगल ग्रह के वातावरण और इसके बाह्यमंडल पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक समझ प्रदान की।
इस
मिशन में कुल 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो ऐसे मिशनों के हिसाब से काफी कम थे। मंगल मिशन का बजट हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी (Gravity) से भी कम था। इस मिशन ने भारत के स्पेस प्रोग्राम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। भारत ने यह कामयाबी अपनी पहली कोशिश में ही हासिल कर ली थी और ऐसा करने वाला वह चौथा देश बन गया था।
भारत से पहले यह उपलब्धि सोवियत यूनियन, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa), यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने हासिल की थी। मंगल ग्रह पर सफल मिशन पहुंचाने वाला भारत पहला एशियाई देश बन गया था। भारत से पहले कोशिश करने वाले चीन और जापान के मिशन सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन भारत ने बेहद कम लागत में मंगल मिशन को सफल करके दिखाया।
इसरो अपने मंगलयान की बैटरी लाइफ को बढ़ाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हाल में आए कई ग्रहण के बाद ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। मंगलयान की बैटरी सिर्फ 1 घंटे 40 मिनट बैकअप के साथ डिजाइन की गई थी। देर तक ग्रहण लगने के कारण वह डिस्चार्ज हो गई।