सूर्य में हलचलों का दौर जारी है, जिसका सीधा असर पृथ्वी पर दिखाई दे रहा है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रविवार को सूर्य में AR3296 नाम के एक सनस्पॉट में विस्फोट हो गया। इसकी वजह से बहुत तेज सोलर फ्लेयर्स (Solar Flares) अंतरिक्ष में निकले। उनकी दिशा पृथ्वी की ओर थी। M1.5 कैटिगरी के सोलर फ्लेयर्स ने पृथ्वी को प्रभावित किया। इनके हमारे ग्रह से टकराने के कारण पश्चिमी अमेरिका और प्रशांत महासागर में शॉर्टवेव रेडियो ब्लैक आउट हो गया।
Spaceweather.com के
मुताबिक, शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट ने हैम रेडियो ऑपरेटर्स और मेरिनर्स के बीच संपर्क को बाधित किया। बीते लगभग एक-डेढ़ साल में सूर्य में होने वाली गतिविधियां बढ़ी हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इस वजह से 2025 तक सूर्य में विस्फोट होते रहेंगे।
हर 11 साल में एक नया सौर चक्र शुरू होता है। इस दौरान सूर्य काफी एक्टिव हो जाता है। उसमें विस्फोट देखने को मिलते हैं। इस दौरान सूर्य से कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फ्लेयर्स उत्सर्जित होते हैं। अगर इनकी दिशा पृथ्वी की ओर हो, तो हमारे ग्रह पर भू-चुंबकीय तूफान आते हैं, जिससे सैटेलाइट्स व पृथ्वी पर मौजूद पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। रविवार को हुई घटना भी इसी का नतीजा हो सकती है।
नासा की सोलर डायनैमिक्स ऑब्जर्वेट्री (SDO) इन घटनाओं पर नजर रखती है और हमें अलर्ट करती है। वहीं, बात करें सोलर फ्लेयर्स की तो जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। ये फ्लेयर्स हमारे सौर मंडल में अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है।
क्या होता है सनस्पॉट
सनस्पॉट, सूर्य में मौजूद एक अंधेरा क्षेत्र है, जो इसके चुंबकत्व के कारण सूर्य पर दिखाई देता है। सनस्पॉट कुछ घंटों से लेकर कुछ महीनों तक रह सकता है। सभी सनस्पॉट सोलर फ्लेयर पैदा नहीं करते, लेकिन जब ऐसा होता है, तब उसका असर पृथ्वी तक दिखाई दे सकता है। इसके अलावा सूर्य खुद भी बहुत सारे फ्लेयर अंतरिक्ष में रिलीज करता है।