भारत की स्पेस एजेंसी ‘इसरो' (ISRO) अंतरिक्ष में नए रिकॉर्ड बना रही है। उसने देश के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM-3 (लॉन्च वीकल मार्क 3) के लिए स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इसरो के अनुसार, इस इंजन की सफल टेस्टिंग के बाद LVM-3 की पेलोड क्षमता 450 किलोग्राम तक बढ़ गई है। एक बयान में इसरो ने कहा कि LVM-3 के लिए CE20 क्रायोजेनिक इंजन को देश में ही विकसित किया गया है। 9 नवंबर को पहली बार 21.8 टन के अपरेटेड थ्रस्ट स्तर पर एक सफल टेस्टिंग की गई।
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,
इसरो ने कहा है कि टेस्टिंग के दौरान इंजन सामान्य प्रदर्शन किया और सभी जरूरी मापदंडों को हासिल किया। एलवीएम 3, दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन, एक तरल प्रणोदक कोर चरण और एक क्रायोजेनिक चरण के साथ तीन-चरणीय वाहन है, जो जियोसिंक्रोनस स्थानांतरण कक्षा में चार-टन वर्ग के उपग्रह को ले जाने में सक्षम है।
इसरो ने कहा कि पिछले इंजन के मुकाबले इस बार की गई टेस्टिंग में प्रमुख संशोधनों में नियंत्रण के लिए थ्रस्ट कंट्रोल वॉल्व (TCV) की शुरूआत की गई। इसके अलावा, 3D प्रिंटेड एलओएक्स और एलएच2 टर्बाइन एग्जॉस्ट केसिंग को पहली बार इंजन में शामिल किया गया था।
इसरो अपने मिशन से पूरी दुनिया में धाक जमा रहा है। हाल ही में इसकी कमर्शियल यूनिट न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से OneWeb के 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स का सफल लॉन्च किया था। लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट कम्युनिकेशंस फर्म OneWeb में भारती ग्लोबल सबसे बड़ी इनवेस्टर है।
यह ऐसा पहला ऑर्डर है कि जिसमें LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। OneWeb ने बताया कि वह अगले वर्ष तक पूरे देश में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। OneWeb के लिए यह 14वां और इस वर्ष का दूसरा लॉन्च है। इससे फर्म के सैटेलाइट्स की कुल संख्या 462 हो गई है। यह इसकी 648 लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट रखने की योजना का 70 प्रतिशत से अधिक है।
इसके अलावा, इसरो अपने तीसरे मून मिशन को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। अगले साल जून में चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को लॉन्च किया जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर खोज को लेकर महत्वपूर्ण अभियान है। इसरो अगले साल की शुरुआत में देश के पहले मानव अंतरिक्ष यान ‘गगनयान' के लिए ‘एबॉर्ट मिशन' की पहली टेस्ट फ्लाइट की भी तैयारी कर रहा है।