सूर्य में हो रही हलचलें बढ़ती जा रही हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में सूर्य में बने विशाल सनस्पॉट से एक बड़ा प्लाज्मा फट गया। इससे निकली गर्मी का असर शुक्र ग्रह पर दिखाई दे रहा है। वहां के मौसम में अप्रत्याशित चीजें हो रही हैं। इस सोमवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के स्टीरियो-ए एयरक्राफ्ट ने सूर्य से एक कोरोनल मास इजेक्शन यानी CME को निकलते हुए देखा। कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। अभी इनकी चपेट में शुक्र ग्रह आया है।
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रिपोर्ट के अनुसार, शुक्र ग्रह को प्रभावित करने वाला एक हफ्ते में यह दूसरा कोरोनल मास इजेक्शन है। इससे पहले 30 अगस्त को भी सूर्य में एक विस्फोट हुआ था, जिससे निकला CME तीन दिन बाद शुक्र ग्रह पर पहुंचा था। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के एक सौर भौतिक विज्ञानी, ‘जॉर्जो हो' ने कहा है कि हाल का विस्फोट सूर्य में हुई कोई आम घटना नहीं है।
उनका मानना है कि 5 सितंबर की घटना सूर्य में सबसे बड़े सोलर एनर्जेटिक पार्टिकल तूफानों में से एक है। अच्छी बात यह है कि पृथ्वी कोरोनल मास इजेक्शन के असर से बची हुई है। इनकी दिशा पृथ्वी की ओर होने पर यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
हाल में हुए विस्फोट का सोर्स सनस्पॉट रीजन AR3088 को माना जा रहा है, जो अगस्त में सूर्य की डिस्क के पृथ्वी के सामने वाले हिस्से को पार कर गया था। लगता है कि कि सनस्पॉट का फोकस पृथ्वी की ओर से हटने के बाद यह और पावरफुल हो गया है। हालांकि अगले सप्ताह यह सनस्पॉट फिर से हमारे ग्रह को फोकस करेगा। इसका मतलब है कि पृथ्वी भी जल्द कुछ स्पेस वेदर एक्टिविटी के लिए तैयार हो सकती है।
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