साल 2023 की पहली पूर्णिमा (first full moon of 2023) 6 जनवरी को होगी। यह बाकी पूर्णिमाओं से थोड़ी अलग होगी, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से अपनी कक्षा में सबसे दूर बिंदु पर मौजूद होगा। विज्ञान इसे माइक्रोमून (micromoon) कहता है और आगामी पूर्णिमा को वूल्फ मून (Wolf micromoon) भी कहा गया है। आने वाले शुक्रवार को माइक्रोमून के दिन पृथ्वी और चंद्रमा के बीच दूरी लगभग 4 लाख 5 हजार 410 किलोमीटर होगी, जो अगस्त-सितंबर के महीने में होने वाली पूर्णिमा के दौरान 3 लाख 62 हजार 570 किलोमीटर रह जाती है। वूल्फ माइक्रोमून से जुड़ी कुछ और जानकारियां हम आपको दे रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, वूल्फ माइक्रोमून के दौरान चंद्रमा, पृथ्वी से अपनी कक्षा में सबसे दूर बिंदु पर होगा, जिसे अपोजी (apogee) कहा जाता है। जब चंद्रमा, पृथ्वी से अपने निकटतम बिंदु पर होता है, उसे पेरिगी (perigee) कहा जाता है।
हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता जब पेरिगी और अपोजी के साथ पूर्णिमा का संयोग बने। ऐसा होने पर इन घटनाओं को क्रमश: सुपरमून और
माइक्रोमून कहकर पुकारा जाता है। यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के
अनुसार, सुपरमून के दौरान चंद्रमा बाकी दिनों से 14.5% चौड़ा और 25% ज्यादा चमकदार दिखाई देता है।
वूल्फ यानी
‘भेड़िया' निकनेम को इसके साथ जोड़ने का मतलब यह हो सकता है कि साल के इस समय में भेड़िए ज्यादा एक्टिव रहते हैं। पूर्णिमा से जुड़े इस तरह के ज्यादातर नाम अमेरिका और जर्मनी के प्राचीन नागरिकों के कल्चर से निकले हुए हैं। भारत में यह पौष पूर्णिमा के नाम से लोकप्रिय है। रिपोर्ट्स के अनुसार शुक्रवार को रात 02 बजकर 16 मिनट पर इसकी शुरुआत होगी और 07 जनवरी 2023 को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर यह खत्म होगी।
पूर्णिमा तब होती है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस तरह संरेखित (align) होते हैं कि सूर्य की किरणें चंद्रमा के पूरे पृथ्वी-पक्ष को रोशन करें। चंद्रमा, पृथ्वी की छाया से थोड़ा ऊपर या नीचे हो। ध्यान रखने वाली बात है कि 6 जनवरी की पूर्णिमा का आगाज क्वाड्रेंटिड्स उल्कापात (Quadrantids meteor shower) का पीक गुजरने के बाद होगा। क्वाड्रेंटिड्स उल्कापात का शानदार नजारा आज और कल रात देखा जा सकता है। हालांकि इसे देखना तभी मुमकिन होगा जब आपके इलाके में आसमान साफ रहे। कोहरा ना हो।