अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया के लिए आज एक बड़ा दिन है। हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) और उसके चंद्रमाओं को एक्सप्लोर करने के लिए एक मिशन लॉन्च होने जा रहा है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) फ्रेंच गुयाना में अपने स्पेसपोर्ट से एरियान 5 लॉन्चर पर ‘जूस मिशन' (Juice mission) लॉन्च करने के लिए तैयार है। खास बात है कि आज लॉन्च होने के बाद ‘जूस' को बृहस्पति तक पहुंचने में 8 साल लग जाएंगे। सबकुछ सही रहा, तो ‘जूस' साल 2031 में बृहस्पति तक पहुंच सकता है। इस मिशन का मकसद हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह और उसके बर्फीले चंद्रमाओं की विस्तृत खोज करना है, जहां का वातावरण रहने लायक हो सकता है।
सिर्फ 2 स्पेसक्राफ्ट अबतक पहुंचे हैं बृहस्पति पर
रिपोर्टों के
अनुसार, बृहस्पति ग्रह पर सिर्फ दो स्पेसक्राफ्ट अबतक पहुंच सके हैं। इनमें पहला है गैलीलियो प्रोब (Galileo probe)। इसने 1995 से 2003 के बीच बृहस्पति ग्रह की परिक्रमा की थी। वहीं, जूनो (Juno) जिसे साल 2011 में लॉन्च किया गया था, साल 2016 में बृहस्पति पर पहुंचा और उसकी परिक्रमा कर रहा है। हाल ही में
जूनो ने बृहस्पति की 50 परिक्रमाएं पूरी की हैं।
नासा भेजने वाली है एक और मिशन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) भी बृहस्पति ग्रह पर एक मिशन भेजने वाली है। जानकारी के
अनुसार, नासा का यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) इस साल अक्टूबर में लॉन्च होने वाला है। खास बात है कि यह यूरोपीय स्पेस एजेंसी के ‘जूस' से पहले ही बृहस्पति पर पहुंच जाएगा। यूरोपा क्लिपर साल 2030 में बृहस्पति पर पहुंच सकता है, जबकि उसके एक साल बाद जूस हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह पर पहुंचेगा। यूरोपा क्लिपर का मकसद विशेषतौर पर बृहस्पति के चंद्रमा ‘यूरोपा' को स्टडी करना है।
जूस मिशन से क्या होगा हासिल?
जूस का पूरा नाम जुपिटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर मिशन है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के
अनुसार, जूस स्पेसक्राफ्ट में लगे उपकरणों की मदद से ना सिर्फ बृहस्पति को एक्सप्लोर किया जाएगा, बल्कि उसके तीन चंद्रमाओं - गेनीमेड, कैलिस्टो और यूरोपा की भी बारीकी से जांच होगी। वैज्ञानिकों को लगता है कि बृहस्पति के चंद्रमाओं की सतह के नीचे पानी के महासागर हैं। यह एक वजह इन उपग्रहों को रहने लायक बना सकती है। भारतीय समय के अनुसार, जूस मिशन की लॉन्चिंग आज शाम साढ़े 5 बजे के आसपास हो सकती है।