जूनो स्पेसक्राफ्ट ने बृहस्पति के चारों ओर लगा लिए 50 चक्कर, Nasa उत्साहित! शेयर की तस्वीरें, आप भी देखें
हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) ने हमेशा से वैज्ञानिकों को आकर्षित किया है। बृहस्पति को करीब से समझने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने साल 2011 में जूनो स्पेसक्राफ्ट (Juno mission) को लॉन्च किया था। यह स्पेसक्राफ्ट साल 2016 में बृहस्पति ग्रह की कक्षा में पहुंचा था और तब से लगातार उसकी निगरानी कर रहा है। नासा ने बताया है कि जूनो मिशन ने इस 8 अप्रैल को 50वां क्लोज पास पूरा कर लिया। यानी स्पेसक्राफ्ट ने बृहस्पति के चारों ओर 50वीं परिक्रमाएं पूरी कर लीं। इस मौके पर उन तस्वीरों को याद करना तो बनता है, जिन्हें जूनो स्पेसक्राफ्ट के जूनोकैम इमेजर (JunoCam imager) ने लिया है। ये तस्वीरें कई वर्षों की मेहनत का नतीजा हैं।
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2016 में जूनो पहुंचा था बृहस्पति पर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, साल 2016 में बृहस्पति ग्रह पर पहुंचने के बाद जूनो स्पेसक्राफ्ट के जूनोकैम इमेजर ने बृहस्पति और उसके बड़े चंद्रमाओं- गैनीमेड (Ganymede), यूरोपा (Europa) और आईओ (Io) की शानदार तस्वीरें ली हैं। कई इमेजेस को प्रोसेस करने में सिटीजन साइंटिस्ट ने योगदान दिया है।
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नासा ने बनाया 50 तस्वीरों का कोलाज
50वें क्लोज पास को सेलिब्रेट करते हुए नासा ने जूनोकैम द्वारा ली गई इमेजेस को कोलाज के रूप में पेश किया है। नासा ने बताया है कि उसने 50 इमेजेस के साथ एक ग्राफिक बनाया है। जूनोकैम ने जो तस्वीरें ली हैं, उनमें बृहस्पति के साथ-साथ उसके चंद्रमा गेनीमेड, यूरोपा और आईओ के अलावा पृथ्वी की तस्वीरें भी शामिल हैं।
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दिलचस्प है बृहस्पति का यूरोपा
वैज्ञानिकों के लिए जितना दिलचस्प बृहस्पति ग्रह है, उतना ही अहम है उसका चंद्रमा यूरोपा। यूरोपा, पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी जमी हुई सतह के नीचे एक महासागर छिपा है। अब तक मिले सबूत बताते हैं कि यह खगोलीय पिंड गर्म, नमकीन और जीवन को सक्षम बनाने वाले तत्वों से समृद्ध हो सकता है। यह पहले ही पता चल चुका है कि यूरोपा, ऑक्सीजन पैदा करता है, लेकिन इसकी सतह पर बिछी बर्फ की मोटी चादर ऑक्सीजन को यूरोपा के समुद्र तक पहुंचने से रोकती है।
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बृहस्पति पर आते हैं तूफान भी
इसके अलावा, जूनो स्पेसक्राफ्ट ने जूनोकैम का इस्तेमाल करते हुए, भंवर जैसे तूफान की तरह सर्पिल हवा के पैटर्न को भी कैप्चर किया है। ये तूफान पृथ्वी पर आने वाले तूफानों से काफी बड़े मालूम पड़ते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, नासा ने बताया है कि बृहस्पति ग्रह पर ये तूफान 50 किलोमीटर तक ऊंचे और 100 किलोमीटर के दायरे में हो सकते हैं। वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बृहस्पति ग्रह पर ये तूफान कैसे आते हैं। तस्वीरें, नासा से।
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