वैज्ञानिक हमेशा से यह मानते आए हैं कि हमारी
पृथ्वी का इनर कोर (Earth's inner core) किसी ठोस धातु के गोले की तरह है। लेकिन एक नई रिसर्च ठीक इसके उलट बात कह रही है। वैज्ञानिकों की एक टीम को पता लगा है कि हमारी पृथ्वी का इनर कोर बहुत अधिक नरम यानी सॉफ्ट हो सकता है बिलकुल मक्खन की तरह। टेक्सास यूनिवर्सिटी और चीन के कुछ सहयोगियों ने मिलकर यह स्टडी की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के इनर कोर के नरम होने की वजह परमाणुओं की अतिसक्रियता (hyperactive) हो सकती है। ये परमाणु हमारी कल्पना से भी ज्यादा मूव करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि स्टडी यह समझने में मदद कर सकती है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इतना बेहतर क्यों है।
खास बात है कि यह
स्टडी लैब में की गई। बहुत ज्यादा तापमान और प्रेशर के कारण पृथ्वी के इनर कोर का सैंपल नहीं लिया जा सकता है। ऐसे में वैज्ञानिकों की टीम ने लैब में ही पृथ्वी के इनर कोर जैसे प्रेशर को क्रिएट किया। वह जानना चाहते थे कि ऐसे हाल में लोहे के परमाणु कैसा बिहेव करते हैं।
वैज्ञानिकों को जो डेटा मिला, उसे कंप्यूटर लर्निंग प्रोग्राम में डाला गया। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली कि लोहे के परमाणु किसी संरचना के अंदर कैसे मूव करते हैं। एनडीटीवी की
रिपोर्ट के अनुसार, स्टडी के सह-लेखक जंग फू-लिन ने कहा कि रिजल्ट से पता चलता है कि इनर कोर के अंदर परमाणु हमारी सोच से ज्यादा मूव कर सकते हैं। कई परमाणु यानी atoms ग्रुप में भी मूव करते हैं।
परमाणुओं की यह स्पीड हमारी पृथ्वी के इनर कोर को कम कठोर बनाती है। यह बताती है कि इनर कोर क्यों नरम है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पृथ्वी का केंद्र यानी इनर कोर बेहद नरम है जितना नरम हमारे किचन में रखा मक्खन होता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ठोस लोहा पृथ्वी के अंदर नरम हो जाता है, क्योंकि उसके परमाणु बहुत ज्यादा स्पीड से बढ़ते हैं। नई खोज से यह जानने में मदद मिल सकती है कि यह पृथ्वी को चुंबकीय क्षेत्र पैदा करने में कैसे मदद करता है।