• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • रेत के बादल भी बनते हैं कई ग्रहों पर, स्पिट्जर टेलीस्कोप के डेटा से खुला राज!

रेत के बादल भी बनते हैं कई ग्रहों पर, स्पिट्जर टेलीस्कोप के डेटा से खुला राज!

वैज्ञानिकों के अनुसार जैसे बृहस्पति के वायुमंडल में अमोनिया और अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड से बने पीले-रंग के बादल हैं। उसी तरह अन्य ग्रहों में सिलिकेट से बने बादल होते हैं।

रेत के बादल भी बनते हैं कई ग्रहों पर, स्पिट्जर टेलीस्कोप के डेटा से खुला राज!

वैज्ञानिकों की यह स्‍टडी रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मंथली नोटिस में पब्लिश हुई है।

ख़ास बातें
  • वैज्ञानिकों ने रेत के बादल बनने को समझने की कोशिश की
  • एक निश्चित तापमान के बीच ऐसे बादलोंं का निर्माण होता है
  • एक्‍सोप्‍लैनेट पर है ऐसे बादलों की मौजूदगी
विज्ञापन
एक हालिया स्‍टडी के अनुसार हमारे ब्रह्मांड में कई एक्सोप्लैनेट (exoplanets) हैं, जिनमें धूल के कणों के बादल मौजूद हैं यानी इन्‍हें रेत के बादल भी कह सकते हैं। गौरतलब है कि ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। अपनी सर्विस से रिटायर हो चुके स्पिट्जर टेलीस्कोप (Spitzer telescope) के वर्षों से जुटाए गए डेटा के रिव्‍यू में इन असामान्‍य बादलों की विशेषता का पता चलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार जैसे बृहस्पति के वायुमंडल में अमोनिया और अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड से बने पीले-रंग के बादल हैं। उसी तरह अन्य ग्रहों में सिलिकेट से बने बादल होते हैं। सिलिकेट, चट्टान बनाने वाले मिनिरल्‍स की फैमिली से है जो पृथ्वी के क्रस्‍ट का 90 फीसदी से ज्‍यादा हिस्सा बनाते हैं।

वैज्ञानिकों की यह स्‍टडी रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मंथली नोटिस में पब्लिश हुई है। इसमें वैज्ञानिकों ने उन परिस्थितियों को समझने की कोशिश की है, जिसकी वजह से माइक्रोस्‍कोपिक धूल के इन बादलों का निर्माण होता है और उनमें रेत की मौजूदगी होती है। 

वैज्ञानिकों को भूरे रंग के बौने तारों की परिक्रमा करने वाले कुछ ग्रहों के वातावरण में सिलिकेट बादलों के संकेत मिले। साल 2003 में लॉन्‍च हुए स्पिट्जर टेलीस्कोप ने अपने ऑपरेशन के पहले 6 साल में इनका डेटा जुटाया था। पता चला कि सिनिकेट बादलों की वजह तापमान है। इसी वजह से इन एक्सोप्लैनेट के वातावरण में बादल बनते हैं। विशेषज्ञों ने पाया कि जिन ग्रहों पर सिलिकेट के बादल बनते हैं, उन सभी का तापमान लगभग 1,000 डिग्री सेल्सियस और 1,700 डिग्री सेल्सियस के बीच था। यानी यह सिलिकेट बादलों के निर्माण के लिए आदर्श तापमान है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि रेत के इन बादलों में कोई मुख्‍य घटक होता होगा, जो बादलों के बनने में भूमिका निभाता होगा। यह पानी, अमोनिया, सल्‍फर या नमक कुछ भी हो सकता है। अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर वैज्ञानिकों को लगता है कि बृहस्पति के वायुमंडल में भी ऐसे गहरे बादल मौजूद है, जहां तापमान बहुत ज्‍यादा है। 

गौरतलब है कि पृथ्‍वी के बाहर जीवन की बात आती है, तो एक्‍सोप्‍लैनेटों पर भी वैज्ञानिकों की नजर जाती है। हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि विभिन्‍न परिस्थितियों में भी कई अरबों वर्षों तक लिक्विड वॉटर, एक्सोप्लैनेट की सतह पर मौजूद रह सकता है। बर्न यूनिवर्सिटी, ज्यूरिख यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्पीटेंस इन रिसर्च (NCCR) के रिसर्चर्स ने समझाया है कि रहने योग्य एक्सोप्लैनेट की खोज के लिए इस दृष्टिकोण को समझना बहुत जरूरी है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

गैजेट्स 360 स्टाफ The resident bot. If you email me, a human will respond. और भी

संबंधित ख़बरें

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Samsung Galaxy S25 Ultra भारत में Rs 1,29,999 में हुआ लॉन्च, प्री-बुकिंग ओपन
  2. Samsung Galaxy S25, Galaxy S25+ की भारत में कीमत 80,999 रुपये से शुरू, प्री-बुकिंग ओपन
  3. Samsung Galaxy S25 सीरीज 12GB तक रैम, 1TB तक स्टोरेज के साथ हुई लॉन्च, जानें कीमत और स्पेसिफिकेशन्स
  4. इस वर्ष पेश हो सकता है पहला मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर
  5. iQOO Z10 Turbo Pro में मिल सकती है 7,500mAh की दमदार बैटरी
  6. एयरटेल ने पेश किए कॉल्स और SMS के लिए अलग प्रीपेड प्लान, TRAI ने दिया था निर्देश
  7. बिल्ली ने भेज दिया रेजिग्नेशन ईमेल, मालकिन ने गंवा डाली नौकरी!
  8. क्रिप्टो मार्केट में तेजी, बिटकॉइन का प्राइस 1,05,300 डॉलर से ज्यादा
  9. Meta के पहले AR हेडसेट होंगे 2027 तक पेश, जानें सबकुछ
  10. क्रिप्टोकरेंसीज के लिए ट्रंप का बड़ा फैसला, अमेरिका में बनेंगे रेगुलेशंस
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »