Chandryaan-3 मिशन के विक्रम लैंडर (Vikram) ने भारत को फिर से गर्व करने का मौका दिया है। इसरो
(ISRO) का चंद्रयान-3 मिशन पिछले साल चंद्रमा पर उतरा था। करीब 15 दिनों तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर अपने प्रयोग पूरे किए। हालांकि एक बार स्लीप मोड में जाने के बाद विक्रम और प्रज्ञान दोबारा काम नहीं कर पाए। अब भारतीय स्पेस एजेंसी ने बताया है कि चंद्रयान-3 लैंडर के एक इंस्ट्रुमेंट ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लोकेशन मार्कर के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक बयान में इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर पर लगे लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (एलआरए) ने काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने बताया कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने 12 दिसंबर 2023 को परावर्तित संकेतों (Reflected signals) का सफलतापूर्वक पता लगाकर लेजर रेंज की माप को हासिल किया।
इसरो ने कहा कि एलआरओ पर लूनर ऑर्बिटर लेजर अल्टीमीटर (लोला) का इस्तेमाल किया गया। जब यह ऑब्जर्वेशन हुआ, तब चंद्रमा पर रात हो रही थी और एलआरओ चंद्रयान-3 के ईस्ट में आगे बढ़ रहा था।
एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत नासा के एलआरए को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर एडजस्ट किया गया था। इसरो ने यह भी बताया कि 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर तभी से ‘लोला' से संपर्क में है।
इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर एक लोकेशन मार्कर के रूप में अपना काम करना जारी रखेगा। इससे मौजूदा और भविष्य के मून मिशनों को मदद मिलेगी। विक्रम लैंडर के लोकेशन मार्कर के रूप में काम करने से स्पेसक्राफ्ट की ऑर्बिटल सिचुएशन का सटीक पता लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही चंद्रमा के स्ट्रक्चर और गुरुत्वाकर्षण से जुड़ी गड़बड़ियों का भी पता लगाया जा सकेगा।