हमारा सूर्य अपने व्यवहार से चौंका रहा है। आए दिन पृथ्वी पर भूचुंबकीय तूफानों के आने का अलर्ट मिल रहा है। यह सबकुछ उस चक्र की वजह से है, जिससे सूर्य गुजर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारा सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इस वजह से साल 2025 तक सूर्य में विस्फोट होते रहेंगे। यह विस्फोट सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की वजह बनेंगे। अब मिल रही जानकारी के अनुसार, सूर्य पर बने एक सनस्पॉट ‘एआर 3076' के आसपास हुए विस्फोट के बाद सूर्य ने अंतरिक्ष में ‘डार्क प्लाज्मा' को रिलीज किया। यह घटना नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने ने रिकॉर्ड की। यह सोलर फ्लेयर विस्फोट 14 अगस्त को देखा गया था, जो अब बहुत तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।
स्पेसवेदरडॉटकॉम के अनुसार, 600 किलोमीटर/सेकंड से ज्यादा तेज रफ्तार से आगे बढ़ता हुआ यह सोलर फ्लेयर सूर्य के बाहरी वातावरण में फट गया। इससे एक कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) भी बना। सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेट्री (SOHO) से नई इमेजेस बताती हैं कि CME का फोकस पृथ्वी की ओर है। अगर इनकी दिशा पृथ्वी की ओर हो, तो हमारे ग्रह पर भू-चुंबकीय तूफान आते हैं, जिससे सैटेलाइट्स व पृथ्वी पर मौजूद पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।
गौरतलब है कि कोरोनल मास इजेक्शन यानी CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह सोलर फ्लेयर पृथ्वी को प्रभावित कर सकता है। स्पेस वेदर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 17 अगस्त को दोपहर बाद एक मध्यम भू-चुंबकीय तूफान आ सकता है। बात करें सोलर फ्लेयर की तो जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है।
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