Axiom-4 मिशन कल ISS पर पहुंचेगा, भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला हैं मिशन के पायलट

धरती के आसपास ISS बहुत तेजी से घूम रहा है और इसे एक ऑर्बिटल साइकल को पूरा करने में लगभग 90 मिनट लगते हैं

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 25 जून 2025 21:39 IST
ख़ास बातें
  • इस मिशन के पायलट के तौर पर जिम्मेदारी शुक्ला संभाल रहे हैं
  • धरती के आसपास ISS बहुत तेजी से घूम रहा है
  • Axiom-4 में मिशन कमांडर की जिम्मेदारी अमेरिका की Peggy Whitson के पास है

Dragon स्पेसक्राफ्ट को ऑर्बिट के अपने रास्ते को ISS की स्थिति के साथ सिंक्रोनाइज करना होगा

कुछ सप्ताह की देरी के बाद Axiom-4 मिशन का बुधवार को लॉन्च हुआ है। इसके क्रू में भारतीय एस्ट्रोनॉट Shubhanshu Shukla भी शामिल हैं। इस मिशन के पायलट के तौर पर जिम्मेदारी शुक्ला संभाल रहे हैं। इसके अलावा क्रू में अमेरिका की Peggy Whitson, पोलैंड के Slawosz Uznanski Wisniewski और हंगरी के Tibor Kapu हैं। इन एस्ट्रोनॉट्स के साथ शून्य ग्रेविटी के उनके संकेतक के तौर पर Joy कहे जाने वाले एक स्वैन टॉय को भी भेजा गया है। 

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने बताया है कि इस मिशन को गुरुवार (26 जून) को शाम लगभग 4.30 पर (भारतीय समयानुसार)  इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचना है। Axiom-4 मिशन को धरती से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर मौजूद ISS पर डॉकिंग करने में लगभग 29 घंटे लगेंगे। Falcon 9 रॉकेट पर स्थित SpaceX का Dragon स्पेसक्राफ्ट शुरुआत में ISS से नीचे के एक ऑर्बिट में पहुंचेगा। ISS के साथ डॉकिंग (जुड़ना) के लिए इस स्पेसक्राफ्ट को अपने रास्ते और ऊंचाई में बदलाव करने होंगे। यह प्रक्रिया आसान नहीं है क्योंकि ISS लगभग 28,000 km/h की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है। 

धरती के आसपास ISS बहुत तेजी से घूम रहा है और इसे एक ऑर्बिटल साइकल को पूरा करने में लगभग 90 मिनट लगते हैं। Dragon स्पेसक्राफ्ट को ऑर्बिट के अपने रास्ते को ISS की मौजूदा स्थिति के साथ सिंक्रोनाइज करना होगा। इसके लिए यह स्पेसक्राफ्ट अपनी रफ्तार और रास्ते में बदलाव करने के दौरान कम से कम दो बार धरती के आसपास घूमेगा। यह प्रक्रिया ISS के साथ सटीक और सुरक्षित डॉकिंग के लिए महत्वपूर्ण है। Axiom-4 में मिशन कमांडर की जिम्मेदारी Peggy Whitson के पास है। इस मिशन के लिए शुक्ला ने भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO के अलावा विदेश में भी प्रशिक्षण लिया है। 

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री Rakesh Sharma ने 1984 में अंतरिक्ष में पहुंचकर इतिहास बनाया था। Axiom-4 मिशन के क्रू के सदस्य ISS पर कई एक्सपेरिमेंट्स करेंगे। इनमें से सात एक्सपेरिमेंट्स की अगुवाई शुक्ला करेंगे। इस मिशन में 31 देशों की भागीदारी है  इस मिशन को सुरक्षा के साथ ISS पर पहुंचाने के लिए NASA और अमेरिकी स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर Axiom Space ने कड़ी तैयारी की थी। इसके लिए मिशन के लॉन्च को भी कई बार टाला भी गया था। 

 
 

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