वैज्ञानिकों ने एक ऐसे बैक्टीरिया का पता लगाया है जिसने 350 हाथियों की जान ले ली थी। बोस्टवाना के ओकावांगो में साल 2020 में मई-जून के दौरान 350 हाथी अचानक मर गए थे। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को इस घटना ने हैरान कर दिया था। भीमकाय जानवरों की लाशें अफ्रीका में जहां तहां पड़ी देखी गई थीं। हैरानी की बात ये थी कि इनके शरीर पर किसी घाव या अन्य किसी तरह के ऐसे निशान नहीं थे जिनसे इनकी मौत का कोई अंदाजा मिलता हो।
अफ्रीका में हाथियों की मौत पर वैज्ञानिक हैरान थे। पर एक खास बात जो देखी गई वो ये थी कि मरने से पहले हाथी गोल गोल घूमने लगते थे। और फिर धड़ाम से मुंह के बल गिर जाते थे। इसके 2 महीने के बाद जिम्बाब्वे में 35 हाथियों में फिर इसी तरह के लक्षण देखे गए।
The Guardian के अनुसार, उस वक्त ये मौतें किसी साइनोबैक्टीरियल विषाक्त तत्व के कारण बताई गई थीं जिसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया था।
फिर जब जिम्बाब्वे में भी इसी तरह से हाथी मरने लगे तो इस पर गंभीरता से शोध हुआ और पता लगा कि ये मौतें पास्चुरेला बिस्गार्ड टैक्सॉन 45 नाम के बैक्टीरिया के कारण हुई थीं जो कि खून में जहर पैदा कर देता है। यह बैक्टीरिया दुर्लभ था और इसके बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। शुरुआत में इस बैक्टीरिया का संबंध हाथियों की मौत से नहीं जोड़ा गया था। फिर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि शायद यह वही बैक्टीरिया है जिसके कारण पड़ोसी देशों में हाथियों की मौतें हुई हैं।
रिसर्च पेपर को अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने लिखा है जिसमें Victoria Falls Wildlife Trust और University of Surrey समेत साउथ अफ्रीका की लेबोरेट्री के शोधकर्ता शामिल हैं। अफ्रीका के सवाना हाथी बहुत तेजी से विलुप्त होने के कगार की ओर बढ़ रहे हैं जो कि हर साल 8% की दर से घट रहे हैं। इसका मुख्य कारण अवैध शिकार बताया गया है। कहा गया है कि वन क्षेत्र में सिर्फ 3,50,000 हाथी ही बचे हैं। और अगर ऐसे ही किसी बैक्टीरियल इंफेक्शन की चपेट में आते रहे तो इनकी संख्या और तेजी से कम हो सकती है।
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