पृथ्वी को हर रोज एस्टरॉयड्स (Asteroids) की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को करीब 290 फुट की चट्टानी आफत धरती के करीब से गुजरी। आज यानी बुधवार को दो एस्टरॉयड हमारे ग्रह के करीब आ रहे हैं। इनमें से एक का आकार 59 फुट है, जबकि दूसरा 48 फुट का है। एस्टरॉयड हमारी पृथ्वी से टकरा जाए, तो बड़ी तबाही ला सकता है। वैज्ञानिकों अलग-अलग तकनीकों के जरिए इनकी मॉनिटरिंग करते हैं और किसी एस्टरॉयड पर तब तक नजर रखते हैं, जब तक वह पृथ्वी से बहुत दूर नहीं चला जाता।
नासा जेपीएल की
वेबसाइट के अनुसार, आज पृथ्वी के करीब आ रहे पहले एस्टरॉयड का नाम है- (2023 UZ3)। आकार में एक घर जितना बड़ा एस्टरॉयड जब पृथ्वी के सबसे करीब होगा, तो दोनों के बीच दूरी 10 लाख 30 हजार किलोमीटर रह जाएगी। आपको यह बहुत ज्यादा लग सकती है, लेकिन विशाल ब्रह्मांड के मुकाबले कुछ भी नहीं।
अपोलो ग्रुप्स के एस्टरॉयड्स से संबंधित (
2023 UZ3) को पृथ्वी के लिए संभावित रूप से खतरनाक माना गया है। हालांकि इसके हमारे ग्रह से टकराने की संभावना नहीं है। जो भी एस्टरॉयड 80 लाख किलेामीटर तक पृथ्वी के करीब आता है, उसे ‘संभावित रूप से खतरनाक' की कैटिगरी में रखा जाता है।
आज पृथ्वी के नजदीक आ रहे दूसरे एस्टरॉयड का नाम है (
2013 UV3)। यह भी एस्टरॉयड्स के अपोलो ग्रुप से संबंधित है और 56 लाख 20 हजार किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरेगा। इसके भी पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक इस चट्टानी आफत को तब तक मॉनिटर करेंगे, जबतक यह पृथ्वी से दूर नहीं चला जाता।
ज्यादातर एस्टरॉयड एक मुख्य
एस्टरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं, जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच है। इनका साइज 10 मीटर से 530 किलोमीटर तक हो सकता है। अबतक खोजे गए सभी एस्टरॉयड का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के चंद्रमा से कम है।
जब किसी एस्टरॉयड की खोज होती है, तो उसका नामकरण इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन कमिटी करती है। नाम कुछ भी हो सकता है, लेकिन साथ में एक नंबर भी उसमें जोड़ा जाता है जैसे- (99942) एपोफिस। कलाकारों, वैज्ञानिकों, ऐतिहासिक पात्रों के नाम पर भी एस्टरॉयड का नाम रखा जाता है।