Apple, Samsung, Xiaomi मुश्किल में, सरकार ने बनाया भारतीय नेविगेशन सिस्टम का प्रेशर

इससे स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों की कॉस्ट बढ़ सकती है और इसके लिए हार्डवेयर में भी बदलाव करने होंगे

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 26 सितंबर 2022 20:33 IST
ख़ास बातें
  • सरकार का कहना है कि NavIC से देश में अधिक सटीक नेविगेशन उपलब्ध होगा
  • इसके इस्तेमाल से इकोनॉमी को भी फायदा मिलेगा
  • नए स्मार्टफोन्स में NavIC के साथ ही GPS भी मौजूद होगा

चीन, जापान, यूरोपियन यूनियन और रूस के पास अपने ग्लोबल या रीजनल नेविगेशन सिस्टम हैं

दुनिया के दूसरी सबसे स्मार्टफोन मार्केट भारत में Apple, Samsung और Xiaomi जैसी ग्लोबल टेक कंपनियों को मुश्किल हो सकती है। केंद्र सरकार ने इन कंपनियों को स्मार्टफोन्स में देश में डिवेलप किए गए नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करने को कहा है। इससे इन कंपनियों की कॉस्ट बढ़ सकती है और इसके लिए हार्डवेयर में भी बदलाव करने होंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने की योजना के तहत देश में रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। इसे नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) कहा जाता है। अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) का नेविगेशन के लिए दुनिया भर में इस्तेमाल होता है। Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस तरह के विदेशी सिस्टम्स पर निर्भरता को कम करना चाहती है। सरकार का कहना है कि NavIC से देश में अधिक सटीक नेविगेशन उपलब्ध होगा। इसके इस्तेमाल से इकोनॉमी को भी फायदा मिलेगा। चीन, जापान, यूरोपियन यूनियन और रूस के पास अपने ग्लोबल या रीजनल नेविगेशन सिस्टम हैं। 

हालांकि, देश में NavIC का सीमित इस्तेमाल हो रहा है। इसे पब्लिक व्हीकल लोकेशन ट्रैकर्स के लिए अनिवार्य किया गया है। सरकार और इंडस्ट्री के दस्तावेजों से पता चलता है कि इसका इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिश की हो रही है। इसकी वजह से स्मार्टफोन कंपनियों से NavIC को सपोर्ट देने वाले स्मार्टफोन्स के लिए हार्डवेयर में बदलाव करने को कहा है। इसके लिए इन कंपनियों को इस वर्ष के अंत तक की समयसीमा दी गई है। हालांकि, नए स्मार्टफोन्स में NavIC के साथ ही GPS भी मौजूद होगा।

Apple, Xiaomi, Samsung Electronics और कुछ अन्य स्मार्टफोन मेकर्स के साथ हाल ही में हुई मीटिंग्स में सरकार ने इस नेविगेशन सिस्टम को स्मार्टफोन्स में शामिल करने के लिए कहा था। हालांकि, इन कंपनियों का कहना था कि इसके लिए उन्हें रिसर्च की जरूरत होगी और उनकी कॉस्ट भी बढ़ जाएगी। इस बदलाव के लिए टेस्टिंग की क्लीयरेंस भी लेनी होगी। इस बारे में सैमसंग ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। Apple और Xiaomi ने इस बारे में जानकारी के लिए संपर्क करने पर उत्तर नहीं दिया। इस प्रोजेक्ट में शामिल IT मिनिस्ट्री और स्पेस एजेंसी ISRO की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। ऐसा बताया जाता है कि सरकारी अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में सैमसंग ने इस बदलाव को लेकर विरोध जताया था। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी ...और भी

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