Google आज 23 अगस्त को Google Doodle के जरिए पहली भारतीय मौसम विज्ञानी अन्ना मणि की 104 वीं जयंती मना रहा है। एक भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी के तौर पर उनके काम ने भारतीय एजेंसियों के लिए वर्तमान समय में देश की मौसम की स्थिति का सटीक अनुमान लगाना आसान बना दिया। अन्ना को देश भर में 'भारत की मौसम महिला' के तौर पर भी जाना जाता है। वैज्ञानिक अन्ना मणि ने रिन्यूअल एनर्जी की देश में शुरुआत की और कई प्रकार की रिसर्च भी की, जिससे देश में वर्तमान मौसम की भविष्यवाणी करने वाली एजेंसियों को मदद मिली।
आज गूगल डूडल के जरिए विज्ञान की दुनिया में उनकी उपलब्धियों का सम्मान कर रहा है। अन्नी मणि का जन्म 23 अगस्त, 1918 को पूर्व राज्य त्रावणकोर जो कि वर्तमान में केरल में हुआ था। अन्ना को किताबों से बहुत लगाव था और उन्होंने अपना अधिकतर समय किताबों के साथ और पब्लिक लाइब्रेरी में बिताया था।
शिक्षा के स्तर पर उन्होंने काफी कुछ हासिल किया था और यहां तक कि नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन के मार्गदर्शन में औपचारिक ट्रेनिंग भी ली थी, जहां उन्होंने रूबीज और हीरे की स्टडी में विशेषज्ञता हासिल की थी। बाद में उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में मौसम संबंधी डिवाइसेज में विशेषज्ञता हासिल किया। उसके बाद भारत पर उन्होंने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के साथ काम करना शुरू कर दिया, जिससे एजेंसी को अपने खुद के मौसम संबंधी डिवाइसेज को डिजाइन और क्यूरेट करने में मदद मिली। उन्होंने IMD में उस दौर में 100 से ज्यादा मौसम डिवाइसेज के डिजाइन में मदद की और काम किया।
वह क्षेत्र जहां अधिकतर पुरुषों का अधिक बोलबाला है, वहां पर अन्ना मणि भारत के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से बनकर आईएमडी में डिवीजन की हेड बनी। वह आईएमडी की डायरेक्टर जनरल बनी और यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड मैट्रोलॉजिकल ऑग्रेनाइजेशन में कई प्रमुख पदों पर भी रहीं। वैज्ञानिक अन्ना मणि गांधीवादी मूल्यों पालन करती थीं और पूरी जिंदगी में खादी के कपड़े को धारण किया। वह भारत की सबसे प्रेरक वैज्ञानिकों में से एक थीं और देश भर में लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।
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