तमिलनाडु सरकार ने कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन को रोक दिया है, जिसे पिछले हफ्ते कड़ी आलोचना और विरोध के बीच पारित किया गया था। इस संसोधन के बाद, कारखाने के कर्मचारियों के लिए काम करने का समय मौजूदा 8 घंटे से बढ़कर 12 घंटे हो जाता। यही कारण है कि इसे पारित करते समय इसे विधानसभा में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। हालांकि, उसके बावजूद इसे राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
NDTV के
अनुसार, कारखाना (संशोधन) अधिनियम 2023 को रोक दिया गया है। कारखाने के कर्मचारियों के लिए काम के घंटे को मौजूदा 8 घंटे की ड्यूटी से बढ़ाकर 12 घंटे करने वाले इस संसोधन को विपक्ष ने मजदूरों का शोषण करार दिया था। राज्य विधानसभा में इसे पारित करने से पहले काफी हंगामा देखने को मिला। रिपोर्ट के अनुसार, विधेयक को चर्चा के लिए लिया गया और शुक्रवार को राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसे "मजदूर विरोधी" अधिनियम बताया। कांग्रेस और सीपीआई (एम) सहित विपक्षी दलों ने कहा कि बिल कारखाने के मजदूरों के शोषण को बढ़ावा देगा।
रिपोर्ट आगे बताती है कि CPI (M) के विधायक वी पी नगईमाली ने कहा कि अधिनियम कॉरपोरेट्स का पक्ष लेगा, जबकि सीपीआई विधायक टी रामचंद्रन ने दावा किया कि यदि अधिनियम को वर्तमान रूप में लागू किया जाता है, तो यह कर्मचारियों के कठिन अधिकारों पर प्रहार करेगा।
हालांकि, उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने आश्वासन दिया कि कर्मचारियों के लिए हफ्ते में कुल काम के घंटे अपरिवर्तित रहेंगे - जिनके पास अब हफ्ते में चार दिन काम करने और तीन दिन की छुट्टी लेने का विकल्प होगा। शेष तीन दिनों के लिए छुट्टी का भुगतान किया जाएगा और छुट्टी, ओवरटाइम, वेतन आदि पर मौजूदा नियम पहले के समान रहेंगे।
श्रम कल्याण मंत्री सी वी गणेशन ने कहा था कि सरकार जांच के बाद ही विधेयक को लागू करेगी।