बार बार बैलेंस चेक करने की आदत? 1 अगस्त से UPI यूजर्स पर नया लिमिट सिस्टम
बार-बार बैलेंस चेक करने की आदत? 1 अगस्त से UPI यूजर्स पर नया लिमिट सिस्टम
सबसे अहम बात यह है कि अब कोई भी यूजर एक दिन में सिर्फ 50 बार ही अपना अकाउंट बैलेंस चेक कर पाएगा।
Written by नितेश पपनोई,
अपडेटेड: 27 मई 2025 14:21 IST
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ख़ास बातें
1 अगस्त से UPI में बैलेंस चेक लिमिट 50 बार प्रति दिन तय की गई
ऑटोपे ट्रांजैक्शन सिर्फ नॉन-पीक टाइम में प्रोसेस होंगे
हर ट्रांजैक्शन के बाद मिलेगा बैलेंस अपडेट, बार-बार चेक की जरूरत नहीं
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UPI इस्तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स के लिए एक जरूरी खबर है। NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने UPI सर्विसेज को लेकर नई गाइडलाइन्स जारी की हैं जो 1 अगस्त 2025 से लागू होंगी। इन नियमों के तहत अब कुछ खास सर्विसेज़ पर लिमिट लगाई जाएगी ताकि सिस्टम पर ट्रैफिक का लोड कंट्रोल में रहे और पीक टाइम में नेटवर्क स्लो या फेल न हो। बदलाव खासतौर पर बैलेंस चेक और ऑटोपे ट्रांजैक्शन्स को लेकर हैं।
सबसे अहम बात यह है कि अब कोई भी यूजर एक दिन में सिर्फ 50 बार ही अपना अकाउंट बैलेंस चेक कर पाएगा। इससे ज्यादा बार बैलेंस देखने की कोशिश करने पर सिस्टम रिस्पॉन्ड नहीं करेगा। NPCI का कहना है कि बड़ी संख्या में यूजर्स बार-बार बैलेंस चेक करते हैं, जिससे सर्वर पर जरूरत से ज्यादा लोड बनता है। अब हर ट्रांजैक्शन के बाद यज़र को एक ऑटोमैटिक बैलेंस अपडेट भी मिलेगा, जिससे बार-बार चेक करने की जरूरत न पड़े।
इसके अलावा पीक टाइम, यानि सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक, इन घंटों के दौरान बैलेंस चेक जैसी सर्विसेज आंशिक रूप से बंद रह सकती हैं या लिमिटेड एक्सेस में रहेंगी। इसी तरह UPI AutoPay फीचर्स, जैसे कि सब्सक्रिप्शन, EMI या SIP जैसी ऑटोमैटिक पेमेंट्स, अब सिर्फ नॉन-पीक टाइम में ही प्रोसेस होंगी।
NPCI का कहना है कि ये फैसले नेटवर्क की स्टेबिलिटी और स्मूद ऑपरेशन को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं। पिछले कुछ महीनों में UPI पर ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में जबरदस्त बढ़त हुई है, और इसी वजह से सिस्टम को अनावश्यक लोड से बचाना जरूरी हो गया है। अगर हर यूजर दिन में 100 बार बैलेंस चेक करे, तो इससे नेटवर्क की परफॉर्मेंस पर सीधा असर पड़ता है।
हालांकि ये लिमिट्स सिर्फ कुछ बेसिक सर्विसेज पर ही लागू होंगी। पैसे भेजने, रिसीव करने या QR कोड स्कैन कर पेमेंट करने जैसी सुविधा पहले की तरह ही काम करती रहेगी। लेकिन बैलेंस चेक, ऑटोपे जैसे सेकंडरी फीचर्स को थोड़ा रीडिज़ाइन किया जा रहा है ताकि UPI नेटवर्क को ज़्यादा मजबूत और भरोसेमंद बनाया जा सके।
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