टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन के प्रमुख सरकारी सिस्टम्स को टारगेट करने वाला साइबर हमला विनाशकारी साबित हो सकता है। जितनी आशंका थी, यह उससे ज्यादा ऑर्गनाइजेशंस को प्रभावित कर सकता है। इस साइबर हमले के पीछे रूस का हाथ माना जा रहा है। शुक्रवार सुबह यूक्रेन एक बड़े साइबर हमले की चपेट में आ गया था। पश्चिमी देशों ने रूस पर इसका आरोप लगाया था। अमेरिका ने भी रूस पर आरोप लगाया है कि उसने यूक्रेन में साइबर हमलावरों को भेजा है।
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट ने रविवार को
कहा कि उसने मैलवेयर का विश्लेषण किया। यह सरकार के डिजिटल बुनियादी ढांचे को निष्क्रिय कर सकता है।
मैलवेयर को ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह रैंसमवेयर की तरह दिखे। इसका मकसद विनाशकारी है। इसे टारगेट की गई डिवाइसेज को निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन किया गया है।
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि हमलों के पीछे कौन है, इसकी पहचान अभी नहीं हुई है। हालांकि कंपनी ने चेतावनी दी है कि इस अटैक से प्रभावित हुए ऑर्गनाइजेशंस की संख्या बहुत ज्यादा हो सकती है।
कंपनी ने कहा कि उसकी जांच टीमों ने कई दर्जन सिस्टम्स पर मैलवेयर को ढूंढा है और यह संख्या बढ़ सकती है। जो सिस्टम साइबर हमले की चपेट में आए हैं, वह यूक्रेन के कई सरकारी, गैर-लाभकारी और इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशंस में मौजूद हैं। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, उसे नहीं पता कि हैकर किस स्तर पर हमला कर रहे हैं। यह भी नहीं मालूम है कि और कितने ऑर्गनाइजेशन इसकी चपेट में आए हैं।
वहीं, शुक्रवार देर रात यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा कि इस साइबर हमले के पीछे रूसी सिक्योरिटी सर्विसेज हो सकती हैं। वहीं, रूस ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है इन हमलों में उसका हाथ होने का कोई सबूत नहीं है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने CNN को बताया कि इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है। रूस का इन साइबर हमलों से कोई लेना-देना नहीं है। यूक्रेन वाले हर चीज के लिए रूस पर दोष लगा रहे हैं, यहां तक कि अपने देश में खराब मौसम के लिए भी। यह साइबर अटैक ऐसे समय में हुआ है, जब यूक्रेन और रूस के बीच तनाव चरम पर है।