देश को ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि भारत ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरर्स को आकर्षित करने के लिए $10 बिलियन (लगभग 76,090 करोड़ रुपये) की प्रोत्साहन योजना incentive plan को मंजूरी दी है। सरकार ने कहा कि इस योजना के तहत वह डिस्प्ले और सेमीकंडक्टर फैब्रिकेटर्स को उनकी प्रोजेक्ट लागत का 50 फीसदी तक वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। एक सरकारी सूत्र ने रॉयटर को बताया कि इस्राइल की टॉवर सेमीकंडक्टर Tower Semiconductor, ताइवान की फॉक्सकॉन Foxconn और सिंगापुर की एक कंपनी ने भारत में चिप फैक्ट्री लगाने में रुचि दिखाई है, जबकि वेदांता समूह एक डिस्प्ले प्लांट स्थापित करने का इच्छुक था।
टॉवर, फॉक्सकॉन और वेदांता ने इस पर मांगे गए कमेंट का अभी कोई जवाब नहीं दिया है।
सरकार ने कहा है कि यह प्राेग्राम सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ डिजाइन में भी कंपनियों को विश्व स्तर पर प्रोत्साहन पैकेज देकर इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण में एक नए युग की शुरुआत करेगा।
यह प्रोग्राम ऐसे समय में आया है जब वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच चल रहे ट्रेड वॉर के कारण कुछ कंपनियां अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को बाकी देशों में भी लगाने की कोशिश कर रही हैं और इसी को देखते हुए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने की सरकार की योजना ऐसे समय में आई है, जब दुनिया भर की गाड़ी और टेक कंपनियां चिप की कमी से जूझ रही हैं। इंटीग्रेटेड सर्किट और चिपसेट डिजाइन पर काम कर रहीं 100 स्थानीय फर्मों को सपोर्ट देने के लिए भी सरकार ने एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है।
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह योजना ‘पूरे सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम' को मदद करेगी।
सरकार ने कहा कि उसे उम्मीद है कि इस स्कीम से लगभग 35000 हाई क्वॉलिटी पोजिशन, एक लाख इन डायरेक्ट जॉब क्रिएट होंगी और 1,67,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। सरकार ने घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के कुछ सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स को लुभाने के लिए 30 बिलियन डॉलर (लगभग 2,28,280 करोड़ रुपये) के प्रोत्साहन की पेशकश की है।
इसने भारत को चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मेकर बनाने में मदद की है और फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन से निवेश कमिटमेंट को जीतने में मदद की है। गौरतलब है कि ये तीनों कंपनियां ऐपल के लिए पार्ट्स बनाती हैं।