भारत में कार और बाइक को मॉडिफाई कराना, यानी उनके मूल डिजाइन और लुक में भारी बदलाव कराना अवैध है। इसके लिए कई नियम बनाए गए हैं, जिनका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना या जेल तक हो सकती है। यदि आप सोच रहे हैं कि किस तरह की मॉडिफिकेशन वैध या अवैध होती है, तो बता दें कि लगभग हर तरह की मॉडिफिकेशन को अवैध माना जाता है। हालांकि, यदि कुछ बदलाव ऐसे भी हैं, जिन्हें वाहन की RC में उल्लेख करके वैध बनाया जा सकता है।
हाल ही में जम्मू कश्मीर के एक युवक को अपनी महिंद्रा थार (Mahindra Thar) एसयूवी को मॉडिफाई कराना महंगा पड़ा था, जहां इस शक्स को कोर्ट ने
छह महीनों के लिए जेल भेजने का आदेश सुना दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस व्यक्ति को 2 लाख रुपये का बॉन्ड भरने और 2 साल तक शांति और अच्छा व्यवहार रखने की शर्त मानने पर जेल की सजा खारिज करने की बात भी कही।
इस सजा को मोटर व्हीकल एक्ट 1988 (MV Act) के सेक्शन 52 के तहत सुनाया गया था, जो कहता है कि "मोटर वाहन का कोई भी मालिक वाहन को इस तरह नहीं बदलेगा कि पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC) में लिखी जानकारी मूल रूप से निर्माता द्वारा निर्दिष्ट जानकारी से अलग हो।"
श्रीनगर की ट्रैफिक कोर्ट ने महिंद्रा थार के मालिक आदिल फारूक भट को अवैध मॉडिफिकेशन के लिए फैसला सुनाया, क्योंकि भट ने अपनी थार के उस डिजाइन में भारी बदलाव किए थे, जो उसकी RC में निर्माता द्वारा उल्लेख किया गया था। इन बदलावों में हार्ड टॉप, बड़े टायर्स, एलईडी लाइट्स और साइरन शामिल थे। कोर्ट ने श्रीनगर के आरटीओ (RTO) को इस थार के सभी मोडिफिकेशन को वापस सही करने, यानी SUV को उसकी मूल स्थिति में वापस लाने का निर्देश भी दिया था।
मॉडिफिकेशन कराने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार भारत में लगभग सभी कारों को मॉडिफाई करना अपराध है। यदि वाहन के लुक में किसी भी तरह का कोई बड़ा बदलाव किया जाता है, जिसमें उसका डिजाइन या लुक निर्माता द्वारा बनाए मूल डिजाइन से अलग दिखाई देगा, तो उसमें वाहन मालिक को दोषी करार दिया जाएगा। उदाहरण के लिए बंपर या फेंडर को पूरी तरह से बदलना, लाइट बदलना, एग्जॉस्ट बदलना आदि जैसे छोटे लगने वाले मॉडिफिकेशन भी गैरकानूनी हैं। कार या बाइक की पूरी किट को बदलने पर तो अपराध और बढ़ जाता है। ऐसा करने पर गाड़ी को सीज भी किया जा सकता है और साथ ही जेल की सजा भी हो सकती है।
इसके अलावा, कार की खिड़कियों पर आफ्टरमार्केट टिनिंग करने से बचें। नियम कहता है कि पिछली विंडस्क्रीन में 75% विजुअलिटी और विंडो के लिए 50% विजुअलिटी होनी चाहिए। शोर मचाने वाले आफ्टरमार्केट एग्जॉस्ट पर भी भारी चालान हो सकता है। जाहिर है कि इस तरह के एग्जॉस्ट नॉइस पॉल्यूशन तो करते ही हैं, साथ ही लोगों को भी परेशान करते हैं। इसके अलावा, तेज साउंड वाले हॉर्न को फिट कराने से भी बचें।
वाहन का रंग बदलना सबस बड़े उल्लंघन में से एक है और यदि आप ऐसा करते भी हैं, तो आपको उससे पहले आरटीओ से परमीशन लेनी होगी और उस रंग को अपनी RC में भी बदलना होगा। इसके अलावा, आपको अपने वाहन में केवल IND होलोग्राम वाली हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) लगानी होगी। हालांकि, HSRP के लिए नियम अभी तक पूरे भारत के सभी राज्यों में अनिवार्य नहीं है। आप इसकी जानकारी अपने राज्य की RTO वेबसाइट के जरिए प्राप्त कर सकते हैं।