Keyboard की टाइपिंग की आवाज सुनकर AI चुरा सकता है आपका पासवर्ड

AI can steal passwords : ‘कीस्ट्रोक्स’ यानी टाइपिंग की आवाज सुनकर एआई टूल आपका पासवर्ड हासिल कर सकता है।

Keyboard की टाइपिंग की आवाज सुनकर AI चुरा सकता है आपका पासवर्ड

रिसर्चर्स ने पाया कि लोग यह जानते ही नहीं हैं कि हैकर उनके टाइपिंग के तरीके को पहचानकर उनके पासवर्ड को चुरा सकते हैं।

ख़ास बातें
  • एक स्‍टडी में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
  • टाइपिंग की आवाज सुनकर एआई टूल आपका पासवर्ड हासिल कर सकता है
  • इस तरह के साइबर अटैक को ‘एकॉस्टिक साइड-चैनल अटैक’ कहा जाता है
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आज की दिनचर्या में सबसे जरूरी चीजों में से एक है आपका पासवर्ड! इसे हैकर्स से बचाने के लिए हम तमाम कोशिशें करते हैं, लेकिन कई लोगों के पासवर्ड फ‍िर भी चोरी हो जाते हैं। आपको चकमा देने के लिए साइबर क्रिमिनल्‍स नए-नए फंडे अपना रहे हैं। रिसर्चर्स की एक स्‍टडी में पता चला है कि लोगों का पासवर्ड चुराने के लिए हैकर्स, आर्टिफ‍िशियल इंटेलिजेंस (AI) के टूल का फायदा उठा सकते हैं। ‘कीस्ट्रोक्स' यानी टाइपिंग की आवाज सुनकर एआई टूल आपका पासवर्ड हासिल कर सकता है। 

रिसर्चर्स ने पाया कि लोग यह जानते ही नहीं हैं कि हैकर उनके टाइपिंग के तरीके को पहचानकर उनके पासवर्ड को चुरा सकते हैं। इस तरह के साइबर अटैक को ‘एकॉस्टिक साइड-चैनल अटैक' (acoustic side-channel attack) के नाम से जाना जाता है। इस तरह के अटैक में हैकर्स आपकी डिवाइस की टाइपिंग को ट्रैक करके जरूरी जानकारियां चुरा सकते हैं। साउंड का विश्‍लेषण करके हैकर्स किसी भी यूजर की सेंसटिव जानकारियां जैसे- पासवर्ड, पिन आदि चुरा सकते हैं।   

अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की एक स्‍टडी में यह बताया गया है कि जब एआई को आसपास मौजूद स्‍मार्टफोन्‍स के पास एक्टिवेट किया गया, तो वह स्‍मार्टफोन्‍स के पासवर्ड को 95% एक्‍युरेसी यानी सटीकता से साथ सुन सकता था। स्‍टडी में शामिल कंप्यूटर साइंटिस्‍टों की टीम ने मैकबुक प्रो के 2021 वर्जन पर टाइपिंग के दौरान आने वाले साउंड्स की पहचान करने के लिए एक एआई मॉडल को ट्रेंड किया। 

जूम वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के दौरान जब यूजर ने लैपटॉप पर टाइपिंग की, तो उसके माइक्रोफोन से जो आवाज एआई तक पहुंची, उसे एआई ने आसानी से पहचान लिया। रिसर्चर्स ने पाया कि एआई प्रोग्राम 93 फीसदी तक एक्‍युरेसी के साथ कीस्ट्रोक्स को पहचान सकता था। 
 

कैसे बचें इस खतरे से? 

रिसर्चर्स का कहना है कि हैकर्स के इस आइडिया को भी फेल किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को टाइपिंग का तरीका बदलना होगा। टाइपिंग के दौरान आसपास म्‍यूजिक वगैरह चलाया जा सकता है, जिससे एआई को साउंड समझने में परेशानी आए। 
 
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