Google Pay पर यूजर्स को मिलेगी फ्रॉड वाली ट्रांजैक्शंस की चेतावनी

कंपनी ने बताया कि वह फ्रॉड वाली ट्रांजैक्शंस को पकड़ने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रही है

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Written by Himani Jha, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 20 दिसंबर 2022 18:41 IST
ख़ास बातें
  • फ्रॉड वाली ट्रांजैक्शंस को पकड़ने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल होगा
  • ऐप पर यूजर्स आसानी से अपनी ट्रांजैक्शंस का रिकॉर्ड देख सकेंगे
  • कंपनी ने एंड्रॉयड पर अपने Files ऐप के लिए भी कुछ अपग्रेड किए हैं

कंपनी ने अपने UPI-बेस्ड पेमेंट ऐप के लिए नए सिक्योरिटी फीचर्स जोड़े हैं

ऑनलाइन पेमेंट सर्विस Google Pay ने देश में डिजिटल पेमेंट्स को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए फ्रॉड पकड़ने की नई तकनीकें शुरू की हैं। इससे यूजर्स को उनके एकाउंट में संदिग्ध गतिविधियों के बारे में कई स्तर की चेतावनियों से सतर्क किया जाएगा। कंपनी ने बताया कि वह फ्रॉड वाली ट्रांजैक्शंस को पकड़ने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रही है। 

Google ने बताया कि उसने अपने UPI-बेस्ड पेमेंट ऐप के लिए नए सिक्योरिटी फीचर्स जोड़े हैं। कंपनी ने कहा कि ऐप लाखों यूजर्स के ट्रांजैक्शन के पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए एडवांस्ड तरीकों का इस्तेमाल करेगा और फ्रॉड वाली गतिविधियों या पेमेंट की संदिग्ध रिक्वेस्ट्स के बारे में यूजर्स को सतर्क किया जाएगा। यूजर्स को उनकी चुनी गई भाषा में चेतावनी दी जाएगी। कुछ मामलों में यूजर्स का ध्यान खींचने के लिए ऐप पर वाइब्रेशन का भी इस्तेमाल होगा। इसके अलावा Google Pay ने एक नया फीचर शुरू किया है जिससे यूजर्स आसानी से अपनी ट्रांजैक्शंस का रिकॉर्ड देख सकेंगे। 

कंपनी ने एंड्रॉयड पर अपने Files ऐप के लिए भी अपग्रेड किए हैं। यूजर्स को गूगल ऐप से डिजिलॉकर पर ऑथेंटिक डिजिटल डॉक्युमेंट्स का आसानी से एक्सेस मिल सकेगा। गूगल ने बताया कि इस ऐप में स्टोर किए गए दस्तावेज डिवाइस पर सुरक्षित होंगे और उन्हें डिजिलॉकर से एक यूनीक लॉक स्क्रीन ऑथेंटिकेशन के इस्तेमाल से ही एक्सेस किया जा सकेगा। यूजर्स अपने परिवार के अन्य सदस्यों के दस्तावेजों को भी अपने फोन पर सेव कर सकेंगे। इस फीचर को देश में एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स के लिए शुरू किया जाएगा। 

हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि डेटा चोरी के लिहाज से भारत सबसे अधिक नुकसान उठाने वाले देशों में शामिल है। हैकर्स मैलवेयर के साथ लोगों का डेटा चुराने के बाद इसे बॉट मार्केट में बेच रहे हैं। VPN सर्विस प्रोवाइडर NordVPN की एक स्टडी में पता चला है कि चुराए गए डेटा में यूजर लॉगिन, कुकीज, डिजिटल फिंगरप्रिंट्स, स्क्रीनशॉट्स और अन्य जानकारी शामिल है। एक व्यक्ति की डिजिटल डेटा का बॉट मार्केट में औसत प्राइस लगभग 490 रुपये का है। लगभग चार वर्ष पहले बॉट मार्केट्स की शुरुआत के बाद से NordVPN की ओर से डेटा की चोरी की ट्रैकिंग की जा रही है। पिछले कुछ वर्षों से भारत सायबर सिक्योरिटी से जुड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा है। पिछले महीने देश के सबसे बड़े हॉस्पिटल्स में से एक ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के सर्वर्स को हैकर्स ने नुकसान पहुंचाया था।   
 

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