Elon Musk की StarLink कंपनी सैटेलाइट के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट सर्विस देती है। कंपनी ने दुनिया के कई इलाकों इस सर्विस की शुरुआत भी की है और इसे भारत लाने के लिए भी तैयार है। हालांकि, सर्विस फिलहाल बीटा स्टेज पर है। बीटा यूज़र्स ने इसकी धीमी इंटरनेट स्पीड को लेकर कई बार शिकायत की है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि इसमें जल्द ही सुधार किया जाएगा। अब यदि आप सोच रहे हैं कि ये कितनी तेज़ होगी, तो बता दें कि Elon Musk के अनुसार, स्टारलिंक की सैटलाइट इंटरनेट सर्विस भविष्य में लाइट की स्पीड से डेटा ट्रांसफर करने में सक्षम होगी।
सिंतबर की शुरुआत में ट्विटर पर ट्वीट के सिलसिले के बीच Elon Musk ने बताया कि अगले कुछ महीनों में लॉन्च होने वाले उनके सैटेलाइट्स में इंटर- सैटेलाइट लेजर लिंक हैं, जिसकी वजह से किसी लोकल डाउनलिंक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
इसके रिप्लाई में ट्विटर यूज़र स्कॉट मैनले (@DJSnM) ने लेजर और इसके पीछे की टेक्नोलॉजी पर सवाल पूछा, जिसके जवाब में SpaceX के CEO ने दावा किया है स्टारलिंक सैटलाइट इंटरनेट सर्विस में इस्तेमाल किए जाने वाली इस टेक्नोलॉजी के चलते लाइट की स्पीड से डेटा ट्रांसफर होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि इस टेक्नोलॉजी के आने के बाद ग्राउंड स्टेशन की जरूरत भी कम हो जाएगी। फिलहाल स्टारलिंक नेटवर्क एक डिश, सैटलाइट और ग्राउंड स्टेशन के आधार पर काम करता है। ग्राउंड स्टेशन के हटने से निश्चित तौर पर डेटा फ्लो डायरेक्ट हो जाएगा और स्पीड में अंतर आएगा। ग्राउंड स्टेशन डेटा ट्रांसफर करने में रुकावट साबित होते आए हैं। इनकी वजह सैटलाइट कम्युनिकेशन में समय लगता है।
मस्क ने सटीक स्पीड के बारे में तो नहीं बताया, लेकिन यह जरूर बता दिया है कि ऑप्टिकल फाइबर्स की तुलना में यह स्पीड 40 फीसदी तक तेज होगी।