दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पूरी तरह से ड्राइवरलेस हो गई है। अब 29 ट्रेनों के ड्राइवरलेस केबिन के चलने से यात्रियों के लिए स्पेस बढ़ गया है, जिससे यात्रियों का अनुभव बेहतर हुआ है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने कहा कि अटेंडेंट को धीरे-धीरे हटाया जाएगा, लेकिन फिलहाल वे हर 3-4 ट्रेनों के बीच मौजूद रहेंगे।
ड्राइवरलेस ऑपरेशन शुरू करके दिल्ली मेट्रो, दुनिया के सिर्फ 7 प्रतिशत मेट्रो नेटवर्क में शामिल हो गई है जहां ऑटोमेशन तौर पर ट्रेन चल रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, इससे इंसानी खामी कम होती है और ट्रेन सर्विस की उपलब्धता में सुधार होता है। ये ड्राइवरलेस ट्रेन डिपो में प्री-इंडक्शन चेक और पार्किंग को ऑटोमैटिक करती हैं, जिससे मानव ऑपरेटर पर वर्कलोड को बेहतर तरीके कम किया जाता है और ऑपरेशन को बेहतर किया जाता है।
मजेंटा लाइन करीब 37 किलोमीटर तक फैली हुई है जो कि जनकपुरी वेस्ट से बॉटनिकल गार्डन तक 25 स्टेशन को कवर करती है। पहली बार दिसंबर 2020 में ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन शुरू हुआ था। इसी प्रकार की टेक्नोलॉजी नवंबर 2021 में पिंक लाइन (मजलिस पार्क से शिव विहार) पर लागू की गई थी। शुरुआत में एक ट्रेन ऑपरेटर मेट्रो में रहा, लेकिन ट्रेन अब पूरी तरह से ऑटोमेशन में बदल गई हैं।
ड्राइवर के केबिन को हटाने के साथ-साथ री-डिजाइन ग्रैब पोल, खड़े होने के लिए ज्यादा स्पेस और सिक्योरिटी के लिए सीसीटीवी मॉनिटरिंग भी शामिल की गई है। रीयल-टाइम ट्रैक मॉनिटरिंग, एलसीडी डिस्प्ले के साथ डिजिटल रूट मैप और एलईडी बैकलाइटिंग से पैसेंजर की सिक्योरिटी और सुविधा को बढ़ाते हैं। एक लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग फीचर शुरू हुआ है जो कि यात्रियों के लिए रियल-टाइम की जानकारी प्रदान करती है।
DMRC फेज IV के प्राथमिकता वाले कॉरिडोर के लिए ड्राइवरलेस ऑपरेशन के लिए 312 मेट्रो कोच (52 ट्रेनें) खरीदेगा।