गुजराती फिल्म छेल्लो शो (chhello show) को Oscar Award 2023 के लिए भारत की ओर से ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया है। इस फैसले पर फिल्म इंडस्ट्री बंटी हुई नजर आ रही है। कई एक्सपर्ट कह रहे हैं कि अगले साल भी भारत को ऑस्कर मिलने की उम्मीद बहुत कम है। आलोचकों और ट्रेड एक्सपर्ट का कहना है कि यह फिल्म 1988 में आई विदेशी फिल्म सिनेमा पारादीसो (Cinema Paradiso) की रीमेक है, जबकि पश्चिम में दर्शक ऐसी बॉलीवुड फिल्मों के प्रति मोहित हैं, जिनमें कलरफुल एक्शन के साथ गीत और डांस की बाजीगरी हो।
फिल्म निर्माता और वितरक सनी खन्ना के हवाले से मिंट ने अपनी
रिपोर्ट में लिखा है कि आरआरआर (RRR) और केजीएफ (KGF) जैसी फिल्मों ने साबित कर दिया है कि भारत अब हॉलीवुड से पीछे नहीं है। एक अनजान
फिल्म को ऑस्कर के लिए भेजे जाने को सनी ने ऑस्कर में देश की संभावनाओं को मारने के समान बताया।
डिजिटल एजेंसी वाइट रिवर मीडिया के को-फाउंडर मितेश कोठारी ने कहा कि आरआरआर जैसी कमर्शल इंडियन फिल्मों को पश्चिमी फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और आलोचकों से काफी प्रशंसा मिली है। उन्होंने कहा कि ऑस्कर अवॉर्ड्स में किसी फिल्म का सपोर्ट करने के लिए बड़े पैमाने पर कैंपेन देखने को मिलते हैं। फिल्म की विश्वव्यापी पहचान के पीछे मार्केटिंग अहम फैक्टर है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऑस्कर के लिए एक फिल्म की मार्केटिंग में करोड़ों रुपये तक खर्च हो सकते हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑस्कर के लिए भेजी जानी वाली फिल्म का प्रचार बेहद जरूरी होता है। एक सही पब्लिसिटी टीम चाहिए होती है। इसमें भी करोड़ों रुपये तक खर्च होते हैं। इसके अलावा, ऑस्कर में किसी विदेशी फिल्म को दौड़ में शामिल रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह सुनिश्चित करना है कि पूरी जूरी आपकी फिल्म देखे। इसके लिए फिल्म निर्माताओं को या तो स्क्रीनिंग आयोजित करनी चाहिए या फिल्म की डीवीडी हॉलीवुड फॉरेन प्रेस एसोसिएशन को भेजनी चाहिए।
गौरतलब है कि आरआरआर को अमेरिका में अच्छी सफलता मिली थी। फिल्म के निर्माताओं ने विदेशों में इसका प्रचार भी शुरू कर दिया था। उन्हें उम्मीद थी कि यह फिल्म ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से भेजी जाएगी। हालांकि कई फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए गुजराती फिल्म छेल्लो शो को चुना गया है।