बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों में शामिल Ola Electric ने लिथियम की माइनिंग के राइट्स के लिए बिड देने की योजना बनाई है। इससे कंपनी की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) के लिए बैटरी बनाने की योजना में आसानी हो सकती है। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष लिथियम जैसे दुर्लभ मिनरल्स की नीलामी के पहले दौर की शुरुआत की थी।
देश में कारों की कुल बिक्री में
EV की हिस्सेदारी लगभग दो प्रतिशत की है। सरकार ने 2030 तक इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। Reuters की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है, "ओला इलेक्ट्रिक की लिथियम की माइनिंग के राइट्स हासिल करने में दिलचस्पी ली है।" कंपनी के एग्जिक्यूटिव्स ने इस नीलामी से जुड़ी मीटिंग्स में हिस्सा लिया है।
कंपनी जल्द ही लिथियम आयन सेल्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेगी।
कंपनी की तमिलनाडु के कृष्णागिरी में बन रही गीगाफैक्टरी इस महीने से शुरू हो जाएगी। इस गीगाफैक्टरी के पूरी कैपेसिटी तक पहुंचने पर लगभग 25,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। ओला इलेक्ट्रिक के फाउंडर, Bhavish Aggarwal ने हाल ही में चेन्नई में आयोजित तमिलनाडु ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में यह जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था, "इस गीगाफैक्टरी के शुरू होने पर ओला इलेक्ट्रिक देश में लिथियम आयन सेल्स की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली पहली कंपनी बन जाएगी।" इस गीगाफैक्टरी की कैपेसिटी 100 GWh की होगी। इसे 5 GWh की कैपेसिटी से शुरू किया जाएगा।
ओला इलेक्ट्रिक ने इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के जरिए 66.2 करोड़ डॉलर हासिल करने की योजना बनाई है। इसमें नए शेयर्स जारी करने के साथ ही मौजूदा इनवेस्टर जापान के SoftBank की ओर से भी शेयर्स की बिक्री होगी। कंपनी इस IPO से मिलने वाले फंड के कुछ हिस्से का इस्तेमाल इस गीगाफैक्टरी के एक्सपैंशन में करेगी। पिछले वर्ष ओला इलेक्ट्रिक ने नई फंडिंग हासिल की थी और इसके लिए कंपनी की वैल्यू 5.4 अरब डॉलर की लगी थी। कंपनी ने अपने सर्विस नेटवर्क को बढ़ाने के साथ ही बड़ी संख्या में नए फास्ट चार्जर्स इंस्टॉल करने की योजना तैयारी की है। इसके पास लगभग 400 सर्विस सेंटर्स और लगभग 1,000 EV चार्जर्स हैं। पिछले कुछ महीनों में ओला इलेक्ट्रिक की बिक्री तेजी से बढ़ी है। कंपनी ने पिछले वर्ष इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की लगभग 2.65 लाख यूनिट्स बेची थी।