भारतीय सेना के बेड़े में नए और हाईटेक ड्रोन्स (drone in Indian army) लगातार शामिल हो रहे हैं। 'खरगा' कामिकेज ड्रोन ('Kharga' Kamikaze drone) एक और ड्रोन है, जिसे इंडियन आर्मी ने डेवलप किया है। इसे खुफिया और सर्विलांस जैसे कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ड्रोन अपने साथ विस्फोटक ले जाने में भी सक्षम है। यह ड्रोन तेज स्पीड में करीब 40 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। रिपोर्टों के अनुसार, इसमें जीपीएस, नेविगेशन सिस्टम और हाई-डेफिनिशन कैमरा लगे हैं। दुश्मन को चकमा देने के लिए ऐसी तकनीक ड्रोन में मौजूद है, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम जैमिंग से बच सकती है। आसान भाषा में कहें तो दुश्मन के लिए इसे ट्रैक कर पाना बेहद मुश्किल है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एक बार में 500 मीटर तक उड़ान भरने वाला 'खरगा' भी एक तरह का सुसाइड ड्रोन है। यह आसानी से दुश्मन के टार्गेट्स को तबाह कर सकता है। अधिकारियों का दावा है कि 'खरगा' रडार की पकड़ में नहीं आता।
खास बात है कि ड्रोन को बनाने में 30 हजार रुपये की लागत आई है। अधिकारियों की मानें तो इसी तरह के ड्रोन्स रूस-यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हुए हैं। इसी साल अगस्त में नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (NAL) ने पावरफुज 'स्वदेशी' कामिकेज ड्रोन लॉन्च किए थे। ये एक हजार किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम हैं।
अतीत में झाकें तो कामिकेज सुसाइड मिशन सबसे पहले सेकंड वर्ल्ड वॉर के आखिर में देखने को मिले थे। तब कमजोर जापानी वायुसेना के पायलटों ने अपने लड़ाकू विमानों को दूसरे देशों के विमानों और जहाजों पर टकरा दिया था।
एंट्री ड्रोन यूनिट बनाने की तैयारी में भारत
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि भारत अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही एक एंट्री ड्रोन यूनिट का गठन करेगा, क्योंकि आने वाले दिनों में UAV का ‘खतरा' गंभीर होने वाला है। उन्होंने कहा कि ‘लेजर युक्त ड्रोन रोधी गन-माउंटेड' सिस्टम के शुरुआती परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। इससे पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन को मार गिराने और उनका पता लगाने की क्षमता तीन प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गई है। शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में ड्रोन का खतरा और भी गंभीर होने वाला है... हम इससे निपटने के लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
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