पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान (Taliban) के नेतृत्व वाला यह देश आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों और सर्विसेज ने देश में काम करना बंद कर दिया है। इनमें वेस्टर्न यूनियन (Western Union) और स्विफ्ट (Swift) जैसी पेमेंट सर्विसेज भी शामिल हैं। इसके बाद कई अफगानों ने क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी के बारे में सीखना शुरू किया, ताकि वो विदेशों से भेजा हुआ पैसा हासिल कर सकें। क्योंकि इस देश में PayPal और Venmo जैसी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सर्विस कभी उपलब्ध ही नहीं थीं। इस वजह से अफगानों ने ऑनलाइन बिजनेस की दुनिया में कई अवसर खो दिए हैं।
स्थानीय क्रिप्टो ट्रेडर ‘हेशमत असवदी' ने Cointelegraph से
बातचीत में कहा कि हमने ब्लॉगिंग, एफिलीएट मार्केटिंग और ऑनलाइन ड्रॉप-शीपिंग जैसे कई अवसरों को खो दिया है, क्योंकि उनमें से ज्यादातर PayPal के साथ पेमेंट करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने ब्लॉगिंग के बारे में बहुत कुछ सीखा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि ऑनलाइन पेमेंट का ऑप्शन नहीं मिल रहा।
हेरात यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रहे हेशमत एक फिनटेक ब्लॉग बनाना चाहते थे। जब उन्होंने इससे जुड़े पेमेंट पर रिसर्च की, तो उनकी उम्मीदें खत्म हो गईं।
बाद में उन्हें क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पता चला। हेशमत ने कहा कि वह उनके लिए अब तक की सबसे अच्छी चीजों में से एक थी। उनके इसके बारे में सीखा। अब वह छोटे स्तर पर डिजिटल असेट्स से जुड़ा काम करते हैं।
असवदी कहते हैं कि अफगानिस्तान और ईरान जैसे विकासशील देशों को कानूनी मुद्रा के रूप में डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल पर विचार करना चाहिए। वो कम से कम एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अफगानिस्तान में जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, वेस्टर्न यूनियन और स्विफ्ट जैसी मनी ट्रांसफर सर्विसेज ने देश में अपना काम बंद कर दिया। मौजूदा वक्त में क्रिप्टो का इस्तेमाल करके दूसरे देशों से पैसे हासिल करना यहां बाहर से पैसे पाने का एकमात्र जरिया है।
पिछले साल के Chainalysis 2021 क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स में 154 देशों में अफगानिस्तान को 20वें नंबर पर रखा गया है।
अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहरों में से एक हेरात में एक लोकल क्रिप्टो डीलर और ट्रेडर- अली का कहना है कि उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने वाले अफगानों की संख्या में भारी वृद्धि देखी है। अली का कहना है कि पिछले एक साल में उनके कस्टमर "10 गुना" तक बढ़ गए हैं।
उन्होंने Cointelegraph से कहा, इसकी प्रमुख वजह यह है कि दूसरे देशों में रहने वाले अपने परिवार और दोस्तों से पैसे हासिल करने का यही एक तरीका लोगों के पास उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यह तरीका वेस्टर्न यूनियन जैसी पेमेंट सर्विसेज की तुलना में बहुत सस्ता और तेज भी है।
ट्रेडिंग के अलावा अली पिछले चार साल से अफगानों को क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग और उसे इस्तेमाल करना सिखा रहे हैं। वह कहते हैं, यह सब तब काम आएगा अगर सरकार देश में क्रिप्टो का इस्तेमाल शुरू करने का फैसला लेती है।
यहां यह भी समझना जरूरी है कि अफगानिस्तान में क्रिप्टो का उपयोग कैसे किया जाता है।
नवंबर 2021 में Binance ने ऐलान किया कि वह अफगानिस्तान समेत कई देशों के यूजर्स अकाउंट में स्विफ्ट बैंक ट्रांसफर को सपोर्ट नहीं करेगा। क्योंकि अफगानिस्तान में ज्यादातर लोग Binance का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनके लिए क्रिप्टो जमा करना या निकालना मुश्किल हो गया।
अब लोगों को क्रिप्टो हासिल करने के लिए क्रिप्टो डीलर के पास जाना होता है। यहां वो अफगानी या US डॉलर में पेमेंट करके क्रिप्टो पाते हैं।
सेंडर के बैंक अकाउंट में पैसे जमा करने के लिए डीलर आमतौर पर हवाला सिस्टम का इस्तेमाल करता है। अली के अनुसार, वह क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि इनमें इंटरनेशल पर्चेस के लिए 11% चार्ज लगता है। डीलर अपने कस्टमर के वॉलेट की जानकारी लेकर उसमें क्रिप्टो भेजता है। फिलहाल Tether (USDT) का इस्तेमाल प्रमुखता से हो रहा है।
तालिबान ने अभी भी डिजिटल करेंसीज के संबंध में किसी नियम या बैन का ऐलान नहीं किया है। अली कहते हैं कि अगर कोई टॉप इस्लामी स्कॉलर क्रिप्टो को हराम (निषिद्ध) कह दे, तो तालिबान इसे बिना सोच बैन कर देगा। अगर वो इसे इजाजत देते हैं, तो हम दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक का इस्तेमाल हमेशा कर सकते हैं।
बहरहाल, अफगानिस्तान में क्रिप्टो को अपनाने में एक बड़ी रुकावट निम्न साक्षरता दर भी है। अफगानिस्तान की सिर्फ 43% आबादी साक्षर है और इससे भी कम संख्या में लोगों के पास इंटरनेट तक रेगुलर पहुंच है।
लेकिन पढ़े-लिखे लोगों ने इसे अपनाना और इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि लोगों को क्रिप्टो डोनेशन भी मिल रहे हैं। पिछले साल सितंबर में Bookblocks.io और ‘वुमेन फॉर अफगान वीमेन' संगठन ने एक नॉन फंजिबल टोकन (NFT) प्रोजेक्ट शुरू किया। उन्होंने अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा और अमेरिका में शरणार्थी बनकर पहुंच रहे लोगों की शिक्षा को सपोर्ट करने के लिए डिजिटल आर्ट तैयार की। एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी फेरेशतेह फोरो ने जरूरतमंद अफगान लड़कियों के लिए क्रिप्टोकरेंसी भेजी है।
तालिबान के अफगानिस्तान में आने के बाद से यहां सबकुछ बदल गया है। इस देश का नाम भी बदलकर उसमें इस्लामिक अमीरात जुड़ चुका है। ऐसे में कई गैर सरकारी संगठनों ने देश छोड़ दिया है। लोगों ने बड़े पैमाने पर नौकरियां गंवाई हैं। दुनिया के देशों को अफगानिस्तान को कोई मदद नहीं मिल रही। देश में वित्तीय संकट के साथ-साथ भुखमरी के हालात हैं। ऐसे में लोगों के पास जीने का एकमात्र तरीका विदेशों में रह रहे अपने परिवारों और दोस्तों से पैसे हासिल करना है। लेकिन यह भी अब सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी के रूप में ही संभव है।
अली कहते हैं, ‘बाकी देश इसलिए क्रिप्टो के बारे में सीख रहे हैं, क्योंकि यह एक नई तकनीक है। लेकिन अफगानिस्तान के मामले में स्थिति थोड़ी अलग है। हमें क्रिप्टो और इसकी टेक्नॉलजी के बारे में जानने की जरूरत है। अगर हम ऐसा नहीं करते तो, इससे बड़ी आपदा और कोई नहीं हो सकती है।