पिछले कुछ महीनों में देश से क्रिप्टो सेगमेंट पर टैक्स को लेकर बहुत से इनवेस्टर्स भ्रम की स्थिति में हैं। इस सेगमेंट से जुड़े कानूनों की जानकारी से टैक्स को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है। क्रिप्टो सेगमेंट को छह कैटेगरी में विभाजित किया जा सकता है। इनमें बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज और नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) प्रमुख हैं। इन्हें इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2 (47A) के तहत वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) माना जाता है।
इनकम टैक्स के सेक्शन 56 के तहत VDA 'प्रॉपर्टी' की परिभाषा के तहत आते हैं। यह सेक्शन 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज' से जुड़ा है।
VDA में ट्रांजैक्शंस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194 S के तहत एक प्रतिशत का TDS लगता है। केंद्र सरकार ने TDS के लागू होने से जुड़ी गाइडलाइंस भी जारी की हैं। सरकार ने एक एक्सचेंज के अलावा होने वाली ट्रांजैक्शंस के लिए TDS पर एक ऑर्डर भी जारी किया है।
क्रिप्टोकरेंसीज पर टैक्स को लेकर भ्रम को दूर करने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) सामान्य प्रश्नों (FAQs) की एक लिस्ट तैयार कर रहा है। क्रिप्टो ट्रेडिंग से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है। इसके साथ ही प्रत्येक क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर 1 प्रतिशत का TDS भी चुकाना होगा। CBDT की प्रमुख संगीता सिंह ने हाल ही में बताया था कि इन प्रश्नों के उत्तर जुलाई में जारी किए जाएंगे। इसका उद्देश्य क्रिप्टो सेगमेंट से जुड़े लोगों के लिए इस टैक्स को लेकर स्थिति स्पष्ट करना है। CBDT टैक्स से जुड़े मामलों पर नियंत्रण रखने वाली सर्वोच्च संस्था है। क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स और फर्मों ने केंद्र सरकार से क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत के टैक्स को कम करने पर विचार करने का निवेदन किया है।
टैक्स अथॉरिटीज की योजना क्रिप्टो एक्टिविटीज को उन सर्विसेज की कैटेगरी में रखने की है जिन पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लगता है। GST काउंसिल ने
टैक्स के उद्देश्यों के लिए ट्रेडिंग, स्टेकिंग और वॉलेट्स जैसी विभिन्न क्रिप्टो एक्टिविटीज की स्टडी करने की जिम्मेदारी एक कमेटी को दी है। इस बारे में GST काउंसिल की अगली मीटिंग में एक प्रपोजल पेश किया जा सकता है। GST काउंसिल गैंबलिंग, लॉटरी, बेटिंग और हॉर्स रेसिंग जैसी सट्टेबाजी वाली एक्टिविटीज के साथ क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस को जोड़ने पर विचार कर सकती है।
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