देश में 1 अप्रैल से क्रिप्टोकरेंसीज की ट्रेडिंग से मिलने वाले प्रॉफिट पर टैक्स देना होगा। इस वर्ष के बजट में क्रिप्टो से जुड़े कानून का प्रस्ताव दिया गया था और यह संसद में पारित हुआ था। इससे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स देश में टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। हालांकि, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की परिभाषा को लेकर भ्रम की स्थिति है। क्रिप्टो ट्रेडिंग से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत का टैक्स चुकाना होगा। इसके अलावा प्रत्येक क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर एक प्रतिशत का TDS भी लागू हो गया है।
इन नियमों का उल्लंघन करने वाले मुश्किल में पड़ सकते हैं। नए क्रिप्टो कानून का उल्लंघन करने वालों सात वर्ष तक की कैद हो सकती है। सायबर कानून के विशेषज्ञ देबाशीष नायक ने Gadgets 360 को बताया, "टैक्स की चोरी के प्रकार के आधार पर छह महीने से सात वर्ष तक की जेल हो सकती है। रकम अधिक होने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो 200 प्रतिशत तक का हो सकता है।" क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े बहुत से लोगों के विरोध के बावजूद देश में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के लिए
कानून लागू किए गए हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप में 10 करोड़ से अधिक लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसीज हैं। यह भारत की जनसंख्या का लगभग 7.3 प्रतिशत है।
क्रिप्टो से जुड़ी फर्मों को आशंका है कि देश में इस सेगमेंट पर टैक्स लागू होने से इनवेस्टर्स इससे बाहर निकल सकते हैं। कानूनी जानकार मानते हैं कि सरकार ने सही मौका देखकर यह कदम उठाया है। लॉ फर्म Trilegal का कहना है, "क्रिप्टो और अन्य डिजिटल एसेट्स में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी को देखते हुए सरकार के लिए एक स्पष्ट टैक्स और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लाना महत्वपूर्ण था।" केंद्र सरकार ने हाल ही में
कहा था कि वह क्रिप्टो माइनिंग करने वालों और इंडस्ट्री से जुड़े अन्य लोगों को टैक्स में कोई छूट या लाभ देने पर विचार नहीं कर रही। ये लोग क्रिप्टो से जुड़े इकोसिस्टम को चलाने के लिए बड़ी रकम खर्च कर सकते हैं।
हालांकि, सरकार के इस रवैये को लेकर क्रिप्टो इंडस्ट्री में नाराजगी है क्योंकि क्रिप्टो माइनिंग में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट की कॉस्ट अधिक होती है और इस वजह से बहुत से लोग इस सेगमेंट में एक्सपेरिमेंट करने से बच सकते हैं। अमेरिका सहित कुछ अन्य देशों में भी क्रिप्टो को लेकर कानून बनाने पर काम किया जा रहा है।