बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक CoinSwitch Kuber ने Ramesh Bafna को फर्म का चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) नियुक्त किया है। Ramesh इससे पहले मिंत्रा और फ्लिपकार्ट जैसे ब्रांड्स के साथ रह चुके हैं। CoinSwitch के पूर्व CFO Sarmad Nazki ने अन्य अवसरों को तलाशने के लिए अपनी पोजिशन से इस्तीफा दिया था।
CoinSwitch की शुरुआत 2017 में Ashish Singhal, Govind Soni और Vimal Sagar Tiwari ने की थी। इसे कुछ प्रमुख वेंचर कैपिटल फर्मों से फंडिंग मिली है। इनमें Andreessen Horowitz, Tiger Global, Paradigm और Sequoia Capital शामिल हैं। CoinSwitch ने पिछले वर्ष सितंबर में एक करोड़ से अधिक यूजर्स और 15,138 करोड़ रुपये की ट्रांजैक्शन वॉल्यूम के साथ देश का सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज बनने का दावा किया था। Ramesh के पास फाइनेंस सेक्टर में लगभग 18 वर्ष का एक्सपीरिएंस है।
एक्सचेंज के को-फाउंडर और CEO Singhal ने कहा, "हमारी यात्रा के अगले बड़े पड़ाव पर जाने में Ramesh के जुड़ने से मैं खुश हूं। उनके पास अधिक ग्रोथ वाली कंपनियों में समस्याओं का समाधान करने का एक्सपीरिएंस है। इससे हमें अपनी स्थिति मजबूत करने और एक्सपैंशन में मदद मिलेगी।"
एक्सचेंज ने हाल ही में देश का पहला बेंचमार्क इंडेक्स लॉन्च किया है, जो रूपी-बेस्ड क्रिप्टो मार्केट की परफॉर्मेंस को ट्रैक करेगा। CRE8 कहा जाने वाला यह इंडेक्स 8 लोकप्रिय क्रिप्टो टोकन के मूवमेंट को फॉलो करेगा, जिनमें बिटकॉइन और Ethereum भी शामिल हैं।
एक्सचेंज का मानना है कि क्रिप्टो मार्केट को बढ़ावा देने के लिए रेगुलेटरी अनिश्चितता समाप्त करने और इनवेस्टर्स की
सुरक्षा की जरूरत है। पिछले वर्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की मांग की थी लेकिन केंद्र सरकार का क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस से मिलने वाले प्रॉफिट पर टैक्स लगाना क्रिप्टो इंडस्ट्री को सरकार के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है। देश में क्रिप्टो एक्सचेंजों को फंड्स के ट्रांसफर के लिए बैंकों के साथ टाई-अप करने में अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। CoinSwitch और कुछ अन्य एक्सचेंजों ने हाल ही में सरकार की हिस्सेदारी वाले एक नेटवर्क के जरिए रुपये में डिपॉजिट को बंद कर दिया था। इससे इनवेस्टर्स की चिंता बढ़ी है। सिंघल का कहना है कि क्रिप्टो से जुड़ी ट्रांजैक्शंस पर टैक्स लगाने और एडवर्टाइजिंग को लेकर रेगुलेशन से कुछ राहत मिली है।