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Chandrayaan-3 Live tracking : शुरू होने वाला है चंद्रयान-3 का सबसे मुश्किल सफर, एक भी गलती हुई तो…?

Chandrayaan-3 Live tracking : यह फेज तब आएगा, जब स्‍पेसक्राफ्ट 100 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा (circular orbit) से चंद्रमा के करीब जाना शुरू करेगा।

Chandrayaan-3 Live tracking : शुरू होने वाला है चंद्रयान-3 का सबसे मुश्किल सफर, एक भी गलती हुई तो…?

Photo Credit: ISRO

14 जुलाई को चंद्रमा के सफर पर निकला चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की 4,313 किलोमीटर दीर्घवृत्ताकार कक्षा (elliptical orbit) में मौजूद है।

ख़ास बातें
  • जब 100 किलोमीटर करीब पहुंचेगा मिशन, तब होगी चुनौती शुरू
  • इसका सबसे अहम फेज इसकी कक्षा निर्धारण प्रक्रिया होगी
  • इसरो अध्‍यक्ष एस सोमनाथ ने दी जानकारी
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भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) जैसे-जैसे चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है, उसकी डगर कठिन होती जा रही है। भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-3 अच्छी हालत में है और इसका सबसे अहम फेज इसकी कक्षा निर्धारण प्रक्रिया (orbit determination process) होगी। उन्‍होंने कहा कि यह फेज तब आएगा, जब स्‍पेसक्राफ्ट 100 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा (circular orbit) से चंद्रमा के करीब जाना शुरू करेगा।
 

अभी कहां है चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Live Tracking)

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 14 जुलाई को चंद्रमा के सफर पर निकला चंद्रयान-3 स्‍पेसक्राफ्ट अब चंद्रमा की 4,313 किलोमीटर दीर्घवृत्ताकार कक्षा (elliptical orbit) में मौजूद है। इसे 100 किमी की वृत्ताकार कक्षा में ले जाने के लिए 9 से 17 अगस्त के बीच सिलसिलेवार प्रक्रियाएं किए जाने की योजना है। 
 

क्‍या बोले ISRO के अध्‍यक्ष

पीटीआई से बातचीत में इसरो अध्‍यक्ष सोमनाथ ने कहा कि100 किमी तक हम कोई कठिनाई नहीं देख रहे हैं। समस्या केवल पृथ्वी से लैंडर की स्थिति का अनुमान लगाने में है। यह माप बहुत महत्वपूर्ण है। इसे हम कक्षा निर्धारण प्रक्रिया कह सकते हैं। यदि यह सही है तो बाकी प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।'
 

ISRO को है मिशन पर भरोसा 

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि इस बार हम इसे बहुत सही तरीके से नीचे उतारने में सक्षम हैं। योजना के अनुसार कक्षा में बदलाव किया जा रहा है। इसमें कोई भटकाव नहीं है। इसीलिए यह शानदार नतीजे दे रहा है। हमें उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहेगा।
 

2019 की गलततियों से सीखा! 

इसरो अध्‍यक्ष ने कहा कि साल 2019 के चंद्रयान-2 से मिला अनुभव हमारे लिए उपयोगी साबित हो रहा है। तब भी एजेंसी ने चंद्रमा पर एक अंतरिक्षयान उतारने की कोशिश की थी। उसे कामयाबी नहीं मिल पाई थी। सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 से मिले अनुभव से काफी मदद मिलेगी। क्या कुछ गलत रहा, उस पर हमने काफी सोचा। फ‍िर प्‍लानिंग की और चंद्रयान-3 में जरूरी बदलाव किया। हालांकि इस मिशन में गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। एक भी गड़बड़ होने पर मिशन को झटका लग सकता है, लेकिन इसरो को भरोसा है कि मिशन सफल रहेगा। 

 
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