माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter को भारत के Koo ऐप से कड़ी टक्कर मिल रही है। यूजर डाउनलोड्स के लिहाज से Koo दूसरा सबसे बड़ा माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म बन गया है। यह Gettr, Truth Social, Mastodon और Parler जैसे प्लेटफॉर्म्स का मुकाबला करने वाला एकमात्र भारतीय प्लेटफॉर्म है।
Koo के को-फाउंडर और CEO, Aprameya Radhakrishna ने बताया कि दुनिया भर में माइक्रोब्लॉगिंग सेगमेंट में हो रहे बदलावों के मद्देनजर Koo को ऐसे देशों में लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है जहां मूलभूत अधिकारों के लिए भुगतान लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर ऐसे टूल्स के लिए भुगतान नहीं लिया जाना चाहिए।
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति
Elon Musk के ट्विटर को खरीदने के बाद इस सबसे बड़े माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म में कई बदलाव किए जा रहे हैं। Twitter ने भारत में अपनी 'ब्लू' सर्विस की शुरुआत कर दी है, जिसमें वेरिफिकेशन टैग शामिल है। इस सर्विस का अमेरिका में प्राइस आठ डॉलर प्रति माह तय किया गया है। मस्क ने इसके CEO, पराग अग्रवाल, CFO नेड सेगल, जनरल काउंसल सीन एडगेट और लीगल पॉलिसी, ट्रस्ट और सिक्योरिटी हेड विजया गड्डे को कंपनी से निकाल दिया था। ट्विटर के लिए एक बड़ी समस्या मॉनेटाइजिंग की रही है। मस्क ने कंपनी के बोर्ड को भंग कर दिया था। ट्विटर के बोर्ड में एलन मस्क अब एकमात्र व्यक्ति हैं और कंपनी का पूरा कंट्रोल उनके पास है।
हाल ही में Koo ने यूजर्स के लिए चार नए फीचर्स शुरू किए हैं। इनमें यूजर्स के लिए 10 प्रोफाइल पिक्चर्स अपलोड करने की सुविधा के अलावा एक Koo पोस्ट को सेव, शेड्यूल और ड्राफ्ट करना शामिल है।
Koo पोस्ट एक ट्वीट की तरह होता है। Koo के यूजर्स एक पोस्ट को आगे की तिथि और समय पर शेड्यूल कर सकेंगे। इससे एक बड़ी पोस्ट को अलग-अलग समय पर कुछ हिस्सों में शेड्यूल किया जा सकेगा जिससे यूजर के फॉलोअर्स की फीड कम भरेगी। Koo को पोस्ट करने से पहले इसे ड्राफ्ट में सेव किया जा सकेगा। इससे पोस्ट से पहले मैसेज में बदलाव करने में आसानी होगी। इस ऐप की 10 भाषाओं में मौजूदगी है और इसके यूजर्स 100 से अधिक देशों में हैं। Koo ने लैंग्वेज-बेस्ड माइक्रो ब्लॉगिंग में मजबूत स्थिति हासिल की है।