AI के चलते आने वाले सालों में नौकरियों में बड़ा बदलाव होगा, ये बात अब एक अनुमान नहीं, बल्कि एक्सपर्ट्स की सीरियस चेतावनी बन चुकी है। अमेरिका के एक थिंक टैंक RethinkX के रिसर्च डायरेक्टर Adam Dorr का मानना है कि 2045 तक दुनिया की लगभग हर मौजूदा जॉब ऑटोमेशन और AI टेक्नोलॉजी की वजह से पूरी तरह बदल चुकी होगी। हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि इंसानों के लिए कोई काम नहीं बचेगा, बल्कि अब सवाल ये है कि हम खुद को किस हद तक AI के साथ एडजस्ट करने को तैयार हैं।
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मुताबिक, ऐसी सिर्फ तीन कैटेगरी की नौकरियां होंगी जो बचेगी, जहां इंसानी इमोशन, सोशल इंटेलिजेंस और नैतिक जिम्मेदारी की जरूरत होगी। इनमें राजनीति, कोचिंग और धार्मिक या मानसिक सलाह से जुड़े प्रोफेशन शामिल हैं। लेकिन इससे ज्यादा ध्यान देने की बात ये है कि जो जॉब्स खत्म होंगी, वो अचानक नहीं जाएंगी। बल्कि आने वाले दो दशकों में हर सेक्टर को धीरे-धीरे रिस्किल और एडेप्ट करना होगा।
AI एक्सपर्ट्स का कहना है कि टेक्नोलॉजी से लड़ने की बजाय अब ह्यूमन-AI की सांठगांठ ही नया स्किलसेट होगा। इसका मतलब ये है कि नौकरी करने वाला हर व्यक्ति अब AI के साथ काम करना सीखे, चाहे वो मार्केटिंग हो, डिजाइनिंग, फाइनेंस या लॉ। रिट्रेनिंग, अपस्किलिंग और AI को इस्तेमाल करने की समझ जिनके पास होगी, वो ही आगे टिक पाएंगे।
कई देशों ने इस बदलाव को लेकर पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। स्वीडन जैसे देश जहां सरकार की तरफ से रिट्रेनिंग पर फोकस किया जा रहा है, वहां ऑटोमेशन से ज्यादा डर नहीं दिख रहा। लेकिन भारत जैसे देश में, जहां करोड़ों लोग आज भी बेसिक स्किल्स पर निर्भर हैं, वहां अगर वक्त रहते पॉलिसी लेवल पर एडजस्टमेंट नहीं किया गया, तो भविष्य का जॉब मार्केट बहुत चौंकाने वाला हो सकता है।
AI का रोल सिर्फ छीनने तक सीमित नहीं है, ये नए रोल्स भी पैदा करेगा। जैसे AI एथिक्स ऑफिसर, एल्गोरिद्म मॉनिटर, डेटा वैलिडेटर, और इंटेलिजेंट सिस्टम मैनेजर जैसी नौकरियां पहले कभी नहीं थीं। यानी जो लोग AI से भागने के बजाय उसे अपनाना सीखेंगे, वो ही अगले दौर के "नए प्रोफेशनल" कहलाएंगे।
क्या 2045 तक सभी नौकरियां खत्म हो जाएंगी?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर मौजूदा नौकरियों का रूप बदल जाएगा, लेकिन सभी पूरी तरह खत्म नहीं होंगी।
कौन-सी स्किल सबसे जरूरी हो जाएगी?
AI के साथ मिलकर काम करने की स्किल यानी ‘ह्यूमन-AI कोलैबरेशन' सबसे जरूरी मानी जा रही है।
क्या कुछ नौकरियां AI से नहीं जाएंगी?
हां, राजनीति, कोचिंग और इमोशनल इंटेलिजेंस से जुड़ी नौकरियां जैसे कि थैरेपिस्ट या स्पिरिचुअल गाइड अभी भी बची रहेंगी।
इस बदलाव से बचने का रास्ता क्या है?
रिट्रेनिंग, अपस्किलिंग और AI को अपनी जॉब में इंटिग्रेट करना ही इसका सबसे मजबूत जवाब है।
क्या भारत इसके लिए तैयार है?
अभी नहीं पूरी तरह। भारत को पॉलिसी लेवल पर तेजी से रिट्रेनिंग और एजुकेशन मॉडल्स में बदलाव करने होंगे।