सोशल मीडिया साइट फेसबुक, ट्विटर पर अधिक समय बिताने वाले किशोरों को अपने उन साथियों की तुलना में अधिक नींद संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जो अक्सर बाहरी खेलकूद की गतिविधियों में भाग लेते हैं। इस शोध की मुख्य लेखिका और यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्टसबर्ग की शोधकर्ता जेसिका सी लेवन्सन के अनुसार, "यह उन सबूतों के पहले टुकड़ों में है जो बताता है कि सोशल मीडिया साइट आपकी नींद को प्रभावित करती है।"
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए लेवन्सन और उनके साथियों ने 19 से 32 साल के 1,788 लोगों पर परीक्षण किया। इस दौरान उनसे फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर जैसी विभिन्न सोशल साइटों से संबंधित सवाल किए गए।
औसत के अनुसार, यह प्रतिभागी प्रत्येक दिन कुल 61 मिनट सोशल मीडिया पर बिताते थे। इसके अलावा वह हर सप्ताह अलग-अलग प्रकार की सोशल मीडिया साइट को भी देखते हैं। इस शोध में शामिल 30 प्रतिशत प्रतिभागियों में नींद संबंधी बाधाओं का उच्च स्तर देखने को मिला।
इसके अलावा जो लोग सप्ताह भर तेजी से सोशल मीडिया की जांच करते रहते हैं, उनमें नींद संबंधी परेशानी होने की संभावना उन लोगों से तीन गुना अधिक होती है जो उतनी तेजी से सोशल मीडिया की जांच नहीं करते हैं।
जो लोग एक दिन में अपना अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनमें सोशल साइट पर कम समय बिताने वालों की तुलना में नींद संबंधी परेशानी होने की दोगुनी संभावना होती है।
लेवन्सन ने बताया, "सोशल मीडिया पर जाने की तीव्रता से नींद संबंधी परेशानियों को समझने में बेहतर जानकारी मिल सकती है।"
यह शोध ऑनलाइन पत्रिका 'प्रिवेंटिव मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ है।
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