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क्‍या 2025 में खत्‍म हो जाएगा इंटरनेट? सोशल मीडिया में ‘इंटरनेट एपोकैलिप्स’ पर चर्चा, क्‍या है यह? जानें

Internet Apocalypse : ‘सोलर मैक्सिमम’ उस अवधि को कहा जाता है, जब सूर्य बहुत ज्‍यादा ‘उग्र’ हो जाता है। इस वजह से पृथ्‍वी पर सौर तूफान आते हैं।

क्‍या 2025 में खत्‍म हो जाएगा इंटरनेट? सोशल मीडिया में ‘इंटरनेट एपोकैलिप्स’ पर चर्चा, क्‍या है यह? जानें

Photo Credit: Unsplash

सोशल मीडिया में इस बात पर खूब चर्चा हो रही है कि अगर इंटरनेट खत्‍म हुआ, तो हमेशा ऑनलाइन रहने वाले लोग करेंगे क्‍या?

ख़ास बातें
  • सोशल मीडिया में इंटरनेट खत्‍म होने की चर्चाएं
  • कहा जा रहा है कि सोलर मैक्सिमम से तबाह हो जाएगा इंटरनेट
  • हाालांकि नासा ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं बताया है
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क्‍या साल 2025 में इंटरनेट खत्‍म हो जाएगा? ‘इंटरनेट सर्वनाश' (internet apocalypse) शब्‍द के इस्‍तेमाल के साथ पिछले काफी समय से सोशल मीडिया में ऐसी चर्चाएं जोरों पर हैं। साथ ही ‘सोलर मैक्सिमम' पर भी बात हो रही है। ‘सोलर मैक्सिमम' शब्‍द सूर्य के संदर्भ में पिछले साल से सुर्खियों में है। ‘सोलर मैक्सिमम' उस अवधि को कहा जाता है, जब सूर्य बहुत ज्‍यादा ‘उग्र' हो जाता है। उसमें सनस्‍पॉट उभरते हैं, जिनसे कोरोनल मास इजेक्‍शन (CME) और सोलर फ्लेयर्स निकलते हैं। ये पृथ्‍वी पर सौर तूफान लाते हैं। यह सिलसिला 2025 में अपने पीक पर पहुंचने वाला है। कहा जा रहा है कि 2025 में जब ‘सोलर मैक्सिमम' का पीक होगा, तब पृथ्‍वी पर ‘इंटरनेट सर्वनाश' (internet apocalypse) के हालात होंगे। 

सोशल मीडिया में अभी से ऐसी अफवाहें हैं कि 2025 में एक सौर तूफान के कारण दुनियाभर में इंटरनेट ठप पड़ सकता है। वॉशिंगटन पोस्‍ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने ऐसी संभावना पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। 
 

हालांकि इस बात पर खूब चर्चा हो रही है कि अगर इंटरनेट खत्‍म हुआ, तो हमेशा ऑनलाइन रहने वाले लोग करेंगे क्‍या? रिपोर्ट कहती है कि ऐसी चिंताएं पूरी तरह से काल्‍पनिक नहीं हैं। तो क्‍या 2025 में वाकई इंटरनेट खत्‍म हो सकता है? 

रिपोर्ट के अनुसार, एक पावरफुल सौर तूफान हमारे ग्रह से टकरा सकता है, लेकिन जब से दुनिया ग्‍लोबल व‍िलेज बनी है यानी आपस में कनेक्‍ट हुई है, तब से ऐसा सोलर इवेंट नहीं देखा गया है। आखिरी बार साल 1859 में सौर गतिविधियों के कारण कैरिंगटन की घटना हुई थी। तब टेलीग्राफ लाइनों में स्पार्किंग हो गई थी और बिजली ऑपरेटरों को सटके महसूस हुए थे। हालांकि तब इंटरनेट नहीं था। साल 1989 के एक सौर तूफान के कारण कनाडा में पावर ग्रिड कुछ घंटों के लिए प्रभावित हुए थे। 

वॉशिंगटन पोस्‍ट की रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर संगीता अब्दु ज्योति के हवाले से कहा गया है कि हमने अभी तक ऐसे सौर तूफानों का सामना नहीं किया है। हम नहीं जानते कि हमारा इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर कैसे प्रतिक्रिया करेगा। उन्‍हीं के एक रिसर्च पेपर ने ‘इंटरनेट एपोकैलिप्स' शब्‍द को लोकप्रियता दिलाने में भूमिका निभाई है। 

संगीता ज्‍योति कहती हैं कि एक भीषण सौर तूफान की वजह से समुद्र के नीचे मौजूद कम्‍युनिकेशन केबलों का बुनियादी ढांचा बड़े पैमाने पर प्रभावित हो सकता है। यह लंबी दूरी की इंटरनेट कनेक्टिविटी को बाधित कर सकता है। ऐसे आउटेज कई महीनों तक रह सकते हैं। ऐसा हुआ तो सिर्फ अमेरिका में एक दिन में 11 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक प्रभाव पड़ेगा। 
 
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