मंगल (Mars) ग्रह पर जीवन की संभावनओं को टटोल रहे नासा (Nasa) के मार्स इनसाइट मिशन (Mars InSight mission) के भूकंपीय डेटा के नए विश्लेषण के अनुसार, मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा में बहुत कम या कोई बर्फ नहीं है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में पब्लिश हुई फाइंडिंग्स में मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास लैंडिंग साइट के सबसर्फेस के 300 मीटर नीचे शुष्क परिस्थितियों के होने की बात कही गई है। इससे वहां भविष्य में जीवन पनपने की उम्मीद चुनौती बनती दिख रही है, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि वहां कभी जीवन नहीं था।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के भूभौतिकीविद् (geophysicist) वाशन राइट ने
कहा कि मंगल ग्रह की परत कमजोर और छिद्रपूर्ण (porous) है। उसकी तलछट (sediments) अच्छी तरह से सीमेंटेड नहीं है। खाली छेदों को भरने वाली बर्फ वहां नहीं है या कहें ज्यादा बर्फ नहीं है। राइट ने कहा कि ये निष्कर्ष इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि वहां बर्फ के दाने या बर्फ के छोटे गोले हो सकते हैं पर सवाल यह है कि बर्फ के उस रूप में मौजूद होने की कितनी संभावना है?
टीम ने अपनी रिसर्च में पाया है कि इस ग्रह के इतिहास के शुरुआती दिनों में मंगल पर पानी के महासागरों रहे होंगे। कई विशेषज्ञों को संदेह है कि ज्यादातर पानी अब उन मिनिरल्स का हिस्सा बन गया है, जो अंडरग्राउंड सीमेंट बनाते हैं। रिसर्च इस बात को भी रेखांकित करती है कि मंगल ग्रह पर पानी लिक्विड फॉर्म में नहीं है। वहां यहां की खनिज संरचना का हिस्सा है। सीमेंट अपने नेचर के हिसाब से चट्टानों और सेडीमेंट्स यानी तलछट को जोड़े रखते हैं।
इसी सीमेंटेड तलछट की कमी से पता चलता है कि मंगल ग्रह पर भूमध्य रेखा के पास सर्वे की गई जगह के 300 मीटर दायरे में पानी की कमी है। मंगल ग्रह पर नजर रख रहे कई वैज्ञानिकों को लंबे समय से संदेह है कि मंगल ग्रह की उपसतह बर्फ से भरी होगी। अब उनका संदेह दूर हो गया है। इसके बावजूद बर्फ की बड़ी चादरें और जमी हुई बर्फ इस ग्रह के ध्रुवों पर बनी हुई है।
इनसाइट स्पेसक्राफ्ट साल 2018 में मार्टियन भूमध्य रेखा के पास एक सपाट, चिकने, मैदान ‘एलिसियम प्लैनिटिया' पर उतरा था। इसमें एक सीस्मोमीटर भी शामिल है, जो इस ग्रह पर दुर्घटनाग्रस्त उल्कापिंडों के कारण आने वाले कंपन को मापता है। अब वैज्ञानिक इस ग्रह के सबसर्फेस की जांच करना चाहते हैं, क्योंकि अगर मंगल पर जीवन मौजूद है, तो वह वहीं होगा। क्योंकि यह जगह रेडिएशन से सुरक्षित हो सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी इस ग्रह को भीतर तक खोदकर भी देखना चाहती है, ताकि जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा सके।